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कल्याणकारी है मां चंद्रघंटा का यह मंत्र

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा. नवरात्रि में तीसरे दिन इनकी पूजा-आराधना की जाती है. देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है.

मां चंद्रघंटा मां चंद्रघंटा
वन्‍दना यादव
  • नई दिल्‍ली,
  • 04 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 10:03 AM IST

नवरात्र के दिनों में वैसे तो मां दुर्गा की कृपा बड़ी ही आसानी से मिल जाती है लेकिन मां को खुश करने के लिए उनके हर स्‍वरूप की पूजा करने की विधि अलग हैं. मां चंद्रघंटा की उपासना करने से भय का नाश होता है और साहस की प्राप्ति होती है. शत्रुओं का नाश करने के लिए मां का आशीर्वाद बहुत जरूरी होता है और इसके लिए मां के मंत्र का जाप करना बहुत कल्‍याणकारी माना गया है.

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मां की उपासना का मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. उनका ध्यान हमारे इस लोक और परलोक दोनों को सद्गति देने वाला है. इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है इसीलिए मां को चंद्रघंटा कहा गया है. इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है और इनके दस हाथ हैं. वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं. सिंह पर सवार दुष्‍टों के संहार के लिए हमेशा तैयार रहती हैं. इसके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं.

देवी पूजा का महत्‍व
नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है. इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं. इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए. इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है.

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सारे से कष्‍टों से मिलेगी मुक्ति
हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए. इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं.

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