
ग्रहों में बृहस्पति सर्वाधिक शुभ और पवित्र है. मात्र कुंडली में इसके शुभ होने पर व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है. यह अकेला संतान, धन और विवाह के मामलों को उत्तम कर देता है. इसकी दृष्टि गंगाजल के समान पवित्र होती है. ये दृष्टि जिस ग्रह और जिस भाव पर पड़ती है, उसके अशुभ प्रभाव को नष्ट कर देती है.
बृहस्पति के अशुभ प्रभाव पड़ने पर क्या होता है?
बृहस्पति के कमजोर होने से व्यक्ति के संस्कार कमजोर होते हैं. विद्या और धन प्राप्ति में बाधा के साथ साथ व्यक्ति को बड़ों का सहयोग पाने में मुश्किलें आती हैं. व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर होता है, कैंसर और लीवर की सारी गंभीर समस्याएं बृहस्पति ही देता है. संतान पक्ष की समस्याए भी परेशान करती हैं , कभी-कभी तो संतान ही नहीं होती है. अगर बृहस्पति का सम्बन्ध विवाह भाव से बन जाए तो विवाह होना असंभव हो जाता है. शनि की अशुभ स्थिति से व्यक्ति की समस्याओं का निवारण हो सकता है परन्तु बृहस्पति के बुरे असर का निवारण बहुत ही मुश्किल होता है.
बृहस्पति के अशुभ प्रभाव दूर करने का सबसे अचूक उपाय क्या है?
बृहस्पति स्वयं शिव का स्वरुप है. अतः शिव भक्ति से बृहस्पति के अशुभ प्रभाव दूर हो जाते हैं. नित्य प्रातः शिवलिंग पर जल अर्पित करें. सामान्य स्थिति में प्रातः और सायं "नमः शिवाय" का जप करें. अगर मारक स्थिति बन रही हो तो महामृत्युंजय मन्त्र का जप करें. आहार, व्यवहार और विचार में पूरी सात्विकता रखें.