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Makar Sankranti 2024: आखिर क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व? जानें इसकी पौराणिक कथाएं

Makar Sankranti 2024: शास्‍त्रों में मकर संक्रांति पर स्‍नान, ध्‍यान और दान का विशेष महत्‍व बताया गया है. मकर संक्रांति पर खरमास का भी समापन हो जाता है और शादी-विवाह जैसे शुभ और मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाती है. ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर वापस लौटता है.

मकर संक्रांति 2024 मकर संक्रांति 2024
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST

Makar Sankranti 2024: हिंदू धर्म में सूर्य देवता से जुड़े कई प्रमुख त्‍योहारों को मनाने की परंपरा है. इन्‍हीं में से एक है मकर संक्रांति. शास्‍त्रों में मकर संक्रांति पर स्‍नान, ध्‍यान और दान का विशेष महत्‍व बताया गया है. मकर संक्रांति पर खरमास का भी समापन हो जाता है और शादी-विवाह जैसे शुभ और मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाती है. ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर वापस लौटता है. आइए आपको मकर संक्रांति से जुड़ी चार प्रमुख कथाओं के बारे में बताते हैं.

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देवताओं का दिन 

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश यानी मकर संक्रांति दान, पुण्य की पावन तिथि है. इसे देवताओं का दिन भी कहा जाता है. इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है. मकर संक्रांति एक तरह से देवताओं की सुबह होती है. इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का बहुत महत्व है. पौराणिक कथा कहती है कि ये तिथि उत्तरायण की तिथि होती है. 

भीष्म पितामह ने त्यागी थी देह 

महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था. जब वे बाणों की शैया पर लेटे हुए थे, तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने मकर संक्रांति की तिथि पर ही अपना जीवन त्यागा था. ऐसा कहते हैं कि उत्तरायण में देह त्यागने वाली आत्माएं कुछ पल के लिए देवलोक चली जाती हैं या फिर उन्हें पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा मिल जाता है.

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सागर में जाकर मिली थी गंगा 

मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं. महाराज भगीरथ ने इस दिन अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया था. इसलिए मकर संक्रांति पर पश्चिम बंगाल के गंगासागर में मेला भी लगता है. 

पिता-पुत्र का मिलन 

मकर संक्रांति का त्योहार इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन पिता सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में पूरे एक महीने के लिए आते हैं. 

आज मनाई जा रही है मकर संक्रांति 

इस त्योहार को पूरे देश में अलग अलग नामों से जानते हैं. इसे माघ संक्रांति कहते हैं. उत्तर भारत में यह पर्व मकर संक्रांति तो गुजरात में उत्तरायण के नाम से जाना जाता है. पंजाब में इसे लोहड़ी, उत्तराखंड में उत्तरायणी और केरल में पोंगल के नाम से मनाते हैं. वैसे तो ये त्योहार हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा है.

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