
Parshuram Jayanti 2022: परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है. यह वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को पड़ती है. ऐसा माना जाता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल के दौरान हुआ था और इसलिए जिस दिन प्रदोष काल के दौरान तृतीया होती है उस दिन को परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है.
वो रेणुका और सप्तर्षि जमदग्नि के पुत्र थे. वह द्वापर युग के अंतिम समय तक जीवित रहे थे. परशुराम को हिंदू धर्म के सात अमर लोगों में से एक माना जाता है.परशुराम ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी जिसके बाद उन्हें वरदान के रूप में एक फरसा मिला था.
परशुराम जयन्ती मुहूर्त
परशुराम जयन्ती मंगलवार, मई 3, 2022 को
अक्षय तृतीया मंगलवार, मई 3, 2022 को
तृतीया तिथि प्रारम्भ - मई 03, 2022 को सुबह 05 बजकर 18 मिनट से शुरू
तृतीया तिथि समाप्त - मई 04, 2022 को सुबह 07 बजकर 32 मिनट पर खत्म
आखिर क्यों परशुराम ने किया था अपनी ही मां का वध
पौराणिक कथाओं की मानें तो, भगवान परशुराम माता रेणुका और ॠषि जमदग्नि की चौथी संतान थे. वे आज्ञाकारी होने के साथ-साथ उग्र स्वभाव के भी थे. भगवान परशुराम को एक बार उनके पिता ने आज्ञा दी कि वो अपनी मां का वध कर दे. भगवान परशुराम बेहद आज्ञाकारी पुत्र थे. उन्होंने अपने पिता के आदेशानुसार तुरंत अपने परशु से अपनी मां का सिर उनके धड़ से अलग कर दिया.
यह देखकर ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र से बेहद प्रसन्न हुए और भगवान परशुराम के आग्रह करने पर उनकी मां को पुन: जीवित कर दिया. आइए जानते है इसके पीछे की पूरी कहानी-
एक बार की बात है जब भगवान परशुराम की मां स्नान करने सरोवर में गई थीं. संयोगवश वहां राजा चित्ररथ नौकाविहार कर रहे थे. उन्हें देख ऋषि पत्नी के हृदय में विकार उत्पन्न हो गया और वह उसी मनोदशा में आश्रम लौट आईं. आश्रम में ऋषि जमदग्नि ने जब पत्नी की यह विकारग्रस्त दशा देखी तो उन्हें अपनी दिव्यदृष्टि से सब ज्ञात हो गया. जिसकी वजह से ऋषि बेहद क्रोधित हुए.
उन्होंने अपने पुत्रों को आदेश देते हुए कहा कि अपनी मां का सिर काट दो. उनकी इस आज्ञा का पालन किसी भी पुत्र ने नहीं किया लेकिन जब पिता ने ये आदेश परशुराम को दिया तो उन्होंने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी मां का सिर काट दिया. परशुराम से प्रसन्न होकर ऋषि जमदग्नि ने उसे मनचाहा वर मांगने के लिए कहा. इस पर परशुराम ने अपने पिता से माता को पुनः जीवित करने का वरदान मांगा.