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Chanakya Niti In Hindi: शादी से पहले जरूर जान लें पार्टनर के बारे में ये 5 बातें

Chanakya Niti In Hindi (चाणक्य नीति): महान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्‍य ने बालक चंद्रगुप्‍त मौर्य को समूचे भारतवर्ष का सम्राट बना डाला था. उनकी नीतियां न सिर्फ शासन के लिए बल्कि मनुष्य के जीवन में काफी मददगार साबित होती हैं. ये व्‍यक्ति को गृहस्‍थ जीवन की बारीकियां भी बताती हैं. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में जीवनसाथी चुनने को लेकर कई बातें बताई हैं. आइए जानते हैं उन नीतियों के बारे में...

Chanakya Niti In Hindi (चाणक्य नीति) Chanakya Niti In Hindi (चाणक्य नीति)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2020,
  • अपडेटेड 3:08 PM IST

महान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्‍य ने बालक चंद्रगुप्‍त मौर्य को समूचे भारतवर्ष का सम्राट बना डाला था. उनकी नीतियां न सिर्फ शासन के लिए बल्कि मनुष्य के जीवन में काफी मददगार साबित होती हैं. ये व्‍यक्ति को गृहस्‍थ जीवन की बारीकियां भी बताती हैं. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में जीवनसाथी चुनने को लेकर कई बातें बताई हैं. आइए जानते हैं उन नीतियों (Chanakya Niti) के बारे में...

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वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।

रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।।

1. कुलीन लड़की कुरूप ही क्यों न हो, विद्वान और बुद्धिमान व्यक्ति के लिए वह श्रेष्ठ होती है. इसलिए उन्हें अपने बराबर के घर की लड़की से ही शादी करनी चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को शादी हमेशा अपने समान स्तर व गुण वाले लड़की से ही करनी चाहिए.

2. चाणक्य कहते हैं कि जीवनसाथी का चयन केवल रूप देखकर नहीं उसके कुल, गुण और चरित्र के आधार पर करना चाहिए. यह बात लड़की के ऊपर भी समान रूप से लागू होता है कि उसे भी लड़के के गुण, चरित्र और घर देखकर ही विवाह करना चाहिुए.

3. चाणक्य कहते हैं कि जीवनसाथी के भीतर धैर्य का गुण होना जरूरी है. पति-पत्नी के बीच धैर्य हो तो जीवन और सुखी हो जाता है. इस गुण के होने पर कठिन परिस्थिति में भी दोनों एक दूसरे का साथ निभाकर परेशानी से निकल सकते हैं.

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4. धर्म और कर्म में विश्वास रखने वाला मनुष्य मर्यादित होता है. ऐसे में विवाह से पूर्व इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि होने वाला जीवनसाथी में धर्म-कर्म को लेकर कितनी आस्था है. चाणक्य के मुताबिक परिवार को सही दिशा देने के लिए मनुष्य का धर्म और कर्म के प्रति आस्था रखना आवश्यक है.

5. चाणक्य इस श्लोक के अंत में कहते हैं कि क्रोध मनुष्य को खत्म कर देता है ऐसे में अगर जीवनसाथी के अंदर क्रोध का गुण हो तो जीवन का सुखी रहना बेहद मुश्किल होता है. मनुष्य को विवाह से पहले अपने जीवनसाथी के गुस्से को परख लेना चाहिए. गुस्सा परिवार के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है. यह व्यक्ति और उसके परिवार का सुख छीन सकता है.

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