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Dhanteras 2018: कब है धनतेरस और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

Dhanteras 2018: धनतेरस के दिन क्या है शुभ मुहूर्त, जानिए पूजा विधि और महत्व.

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प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST

धनतेरस 2018 (Dhanteras 2018): धनत्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था और इसीलिए इस दिन को धन तेरस के रूप में पूजा जाता है. दीपावली के दो दिन पहले आने वाले इस त्योहार को लोग काफी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन गहनों और बर्तन की खरीदारी जरूर की जाती है. इस बार धनतेरस 5 नवंबर को है.

Dhanteras 2018: जानें क्यों मनाया जाता है धनतेरस?

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धनतेरस 2018 का मुहूर्त-

धनतेरस पूजा मुहूर्त- शाम 6.05 बजे से 8.01 बजे

अवधि- 1 घंटा 55 मिनट

प्रदोष काल- 5.29 PM से 8.07 PM

वृषभ काल- 6:05 PM से 8:01 PM

त्रयोदशी तिथि आरंभ- 5 नवंबर, 01:24 AM

त्रयोदशी तिथि खत्म- 5 नवंबर, 11.46 PM 

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क्यों भगवान धनवंतरी के पूजन का इतना महत्व?

शास्त्रों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान त्रयो‍दशी के दिन भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी कहा जाता है. धन और वैभव देने वाली इस त्रयोदशी का विशेष महत्व माना गया है.

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कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय बहुत ही दुर्लभ और कीमती वस्तुओं के अलावा शरद पूर्णिमा का चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी के दिन कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवंतरी और कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवती लक्ष्मी जी का समुद्र से अवतरण हुआ था. यही कारण है कि दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन और उसके दो दिन पहले त्रयोदशी को भगवान धनवंतरी का जन्म दिवस धनतेरस के रूप में मनाया जाता है.

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भगवान धनवंतरी को प्रिय है पीतल

भगवान धनवंतरी को नारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है. इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख और चक्र धारण किए हुए हैं. दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं. ऐसा माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है क्योंकि पीतल भगवान धनवंतरी की प्रिय धातु है.

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मान्यता के अनुसार धनतेरस

मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है और लंबे समय तक चलती है. लेकिन अगर भगवान की प्रिय वस्तु पीतल की खरीदारी की जाए तो इसका तेरह गुना अधिक लाभ मिलता है.

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