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छठ पूजा के त्योहार को महापर्व कहा जाता है. यह दिवाली के छठे दिन शुरू होता है इसलिए इस पर्व को छठ कहा जाता है. यह पर्व सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. यहां तक कि यह दूसरे देशों में भी मनाया जाता है. जैसे कि नेपाल, मॉरिसस, अमेरिका आदि.
ऐसी मान्यता है कि छठी मइया अपने जातकों की मनोकामना पूरी करती हैं और उनके संतानों की रक्षा करती हैं.
छठ शुरू होने से एक महीने पहले से ही छठ गीत हर तरफ सुनाई देने लगते हैं. लोग गीतों के जरिये छठी मइया को याद करते हैं और उनसे अपनी संतान की आयु और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं.
कहते हैं कि छठ माता के गीत गाने और सुनने से छठी माता सारे कष्ट दूर करती हैं और सुखी जीवन का आर्शीवाद देती हैं.
इस पर्व पर कई सारे गीत गाए जाते हैं, जिससे इस पर्व का रोनक में चार चांद लग जाते हैं.
इतना ही नहीं बल्कि छठ पर गीतों के माध्यम से सूर्य देवता और छठ मैया दोनों की प्राथना की जाती है. वैसे तो छठ पर्व में गाए जाने वाले गीत कई क्षेत्रीय भाषाओं में होते हैं, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका भाषा वाले गीत होते हैं.
क्योंकि यह भाषा बिहार, झारखंड के साथ पूर्वंचल में भी बोली जाती है.
ये हैं छठ पर्व पर गाए जान वाले सबसे लोकप्रिए गीत:
केलवा के पात पे उगेलन सुरुजमल....
हो दीनानाथ...
नरियरवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेडराय, तोके मरबो रे सुगवा धनुख से ...
छठी मइया के दिहल ललनवा...
पटना के घाटे अरघ देहब...
दउरा मथवा पे उठाईं ऐ पिंटू के पापा...
पटना के घाट पे हमहूं अर्घिया देबई ऐ छठी मइया, हम नाहीं जाइब दूसर घाट ऐ छठी मइया...