
नवरात्रि की धूम हर तरफ है. घर हो या मंदिर, हर जगह मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना हो रही है.
भक्तों में मातारानी को प्रसन्न करने की होड़ है. ऐसे में जरूरी है नवरात्रि के हर दिन की अलग-अलग महिमा के बारे में जान लिया जाए.
आज नवरात्रि का छठा दिन हैं. आज मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है.
मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था अतः इनको कात्यायनी कहा जाता है. इनकी चार भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र और कमल का पुष्प है, इनका वाहन सिंह है.
ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी. महिषासुर का वध करने वाली मां कात्यायनी ही हैं.
देवी के इस रूप की सबसे अद्भुत बात ये कि इन्होंने अपने पिता के वंश नाम को आगे बढ़ाया. जबकि आमतौर पर ये अधिकार केवल पुत्रों को ही मिला करता है.
कहते हैं मां कात्यायनी की कृपा से विवाह में आ रही बाधा भी बड़ी ही आसानी से दूर हो जाती हैं. विवाह सम्बन्धी मामलों के लिए इनकी पूजा अचूक होती है, योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है.
ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध इनसे माना जाना चाहिए.
मां कात्यायनी की पूजा से सामान्य लाभ क्या हैं...
- व्यक्ति को मन को नियंत्रित करने की क्षमता प्राप्त होती है
- व्यक्ति अपनी सारी चिंताओं और व्यसनों से मुक्त हो सकता है
- व्यक्ति को अद्भुत साहस मिलता है तथा व्यक्ति बाधाओं को लांघ जाता है
- विवाह सम्बन्धी कैसी भी बाधा हो, मां कात्यायनी की पूजा से समाप्त हो जाती है