Advertisement

जानें, महिषासुर मर्दिनी कात्यायनी माता के जन्म का रहस्य

नवरात्र के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है. जानिये माता के इस स्वरूप के जन्म का रहस्य और महत्व व पूजन विध‍ि...

मां कात्यायनी मां कात्यायनी
वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:19 AM IST

आज नवरात्रि का छठा दिन है और इस दिन देवी मां के छठे स्वरूप यानी मां कात्यायनी की उपासना होती है.

कहते हैं कि जिसने मां कात्यायनी को प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त कर ली, उसमें असंभव को भी संभव करने की शक्ति आ जाती है. मां कात्यायनी के भक्त दृढ़ प्रतिज्ञ होते हैं और अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करते हैं.

Advertisement

आज हम आपको मां कात्यायनी से जुड़े अद्भुत रहस्यों के बारे में बताएंगे, लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर मां कात्यायनी का स्वरूप कैसा है...

मां कात्यायनी का शरीर स्वर्ण के समान चमकीला है. चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी की सवारी सिंह हैं. मां के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में उनका प्रिय पुष्प कमल है. बाकी दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में सुशोभित होते हैं.

कहते हैं मां कात्यायनी की उपासना से भक्तों को अमोघ फल प्राप्त होता है. यानी मां की उपासना का फल कभी नष्ट नहीं होता. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर मां कात्यायनी की उत्पत्ति कैसे हुई और देवी के इस स्वरूप का नाम कात्यायनी क्यों पड़ा. आइए हम आपको बताते हैं...

मां कात्यायनी के जन्म का रहस्य

एक वन में कत नाम के एक महर्षि रहते थे. उनका एक पुत्र था, जिसका नाम कात्य रखा गया. कात्य गोत्र में ही महर्षि कात्यायन का जन्म हुआ, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी.

Advertisement

उनकी तीव्र कामना थी कि मां भगवती उनको पुत्री के रूप में प्राप्त हों. इसके लिए महर्षि कात्यायन ने देवी पराम्बा की कठोर तपस्या की. महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी पराम्बा ने उन्हें वरदान दिया और उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुईं.

महर्षि कात्यायन की पुत्री होने के कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा. मां कात्यायनी ने ही आगे चलकर राक्षस महिषासुर का वध किया था.

पूजन विधि

- पीले या लाल वस्त्र धारण करके मां कात्यायनी की पूजा करना उत्तम होगा

- मां कात्यायनी को पीले सुगंधित फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें

- मां को शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है

- इसके बाद मां कात्यायनी के मन्त्र का जाप करें

इस मंत्र का करें जाप...

चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना|

कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि||

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement