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महाकुंभ में अनोखा जुगाड़... बंगाल से पोर्टेबल घर लेकर पहुंचा परिवार, होटल का झंझट खत्म, पैसा भी बचा और आराम भी

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में जहां लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, वहीं ठहरने के लिए होटल और धर्मशालाओं की भारी मांग के चलते कई लोग जगह की कमी से जूझ रहे हैं. यहां पश्चिम बंगाल से आया एक परिवार इस समस्या का अनोखा समाधान लेकर आया. उन्होंने ऑनलाइन दो फोल्डेबल टेंट खरीदे, जिन्हें आसानी से लगाया और मोड़ा जा सकता है. ये टेंट उनके लिए अस्थायी घर बन गए हैं.

पोर्टेबल घर लेकर कुंभ पहुंचा परिवार. (Photo: Aajtak) पोर्टेबल घर लेकर कुंभ पहुंचा परिवार. (Photo: Aajtak)
सिमर चावला
  • प्रयागराज,
  • 14 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 3:08 PM IST

प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते ठहरने के लिए जगह की समस्या न हो, इसको लेकर बंगाल की एक फैमिली ने अनोखा जुगाड़ निकाला. पश्चिम बंगाल से आया परिवार महाकुंभ में ठहरने के लिए अपना खुद का पोर्टेबल घर साथ लाया है. इस फैमिली के पास दो फोल्डेबल टेंट हैं, जिनमें 12 लोग आराम से ठहर सकते हैं.

इस परिवार ने ऑनलाइन ऑर्डर कर दो फोल्डेबल टेंट खरीदे, जिनकी कीमत मात्र 3000 रुपये थी. इन टेंटों को ऐसे डिजाइन किया गया है कि ये न केवल आरामदायक हैं, बल्कि इन्हें आसानी से कहीं भी फोल्ड कर रखा जा सकता है. परिवार के सदस्य बताते हैं कि टेंट के अंदर बैठकर वे आराम से बातचीत कर सकते हैं, और बाहर की कड़ी धूप का भी असर नहीं होता. इन टेंटों के अंदर बिल्कुल कमरे जैसी सुविधा मिलती है, जिससे उन्हें किसी होटल या लॉज की जरूरत नहीं पड़ी.

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इनके पास मौजूद फोल्डेबल टेंट में 12 लोगों का पूरा परिवार आराम से रह रहा है. सुबह होते ही वे अपने टेंट समेटकर आगे बढ़ जाते हैं और किसी नए घाट या खुले स्थान पर ठिकाना बना लेते हैं. महज 3000 रुपये में खरीदे गए इन टेंटों ने उनके ठहरने का पूरा खर्च बचा लिया. वे महाकुंभ में पूरे परिवार के साथ स्नान करने पहुंचे हैं.

इस परिवार ने पिछले आठ दिनों से महाकुंभ में अलग-अलग घाटों पर रुकने का तरीका अपनाया है. सुबह होते ही वे टेंट फोल्ड कर किसी बाग में रख देते हैं और दिनभर गंगा स्नान, पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल रहते हैं. शाम होते ही वे अपने टेंट किसी नए घाट के पास विश्राम करते हैं. महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालु अक्सर महंगे होटलों और धर्मशालाओं में ठहरने के लिए मजबूर होते हैं, लेकिन इस परिवार ने अनोखा तरीका निकाला है.

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