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संध्या पूजा करते समय बरतें ये सावधानियां, होंगे कई लाभ

हिंदू धर्म में हर पूजा का काफी महत्व होता है. आइए जानते हैं संध्या पूजा का क्या महत्व होता है और इसे करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...

संध्या पूजा संध्या पूजा
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 9:02 AM IST

हिंदू धर्म में तीन वेला की पूजाओं का विशेष महत्व है. प्रातः काल, दोपहर और सांय काल की पूजा. सांय काल की पूजा सूर्यास्त के समय की जाती है, इसको संध्या पूजन कहते हैं. दिन भर के बाद संध्या पूजा करने से विशेष तरह के शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है. कुछ विशेष पूजा और प्रयोग ऐसे हैं जो केवल संध्या पूजा में ही फलदायी होते हैं.

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 क्या हैं संध्या पूजा के लाभ ?

 - संध्या पूजा करने से घर में धन का कभी अभाव नहीं होता है.

 - नियमित रूप से संध्या पूजा करने वाले की अकाल मृत्यु नहीं होती है.

- शनिदेव और हनुमान जी की पूजा संध्या के समय विशेष प्रभावशाली होती है.

- शनि की पीड़ा से मुक्ति के लिए संध्या पूजा जरूर करनी चाहिए.

- कर्ज, रोग और शत्रु मुक्ति के लिए संध्या पूजा ज्यादा कारगर होती है.

क्या है संध्या पूजा की विधि ?

 - संध्या पूजा सूर्यास्त के समय के लगभग करनी चाहिए.

 - स्नान करना उत्तम होगा, अन्यथा ठीक तरीके से हाथ पैर धो लें.

- इस समय की पूजा में घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं.

- इसके बाद सबसे पहले गायत्री मंत्र का जाप करें.

- फिर जो कोई भी मंत्र आप जाप करते हों, जाप करें.

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- शंख बजाएं और पूरे घर में या तो धूप जलाएं या आरती दिखाएं.

संध्या पूजा की सावधानियां क्या हैं ?

- संध्या पूजा के पूर्व कुछ खाद्य न खाएं.

- संध्या पूजा में घर के जितने लोग होंगे उतना ही अच्छा होगा.

- संध्या पूजा बिना दीपक के नहीं करनी चाहिए.

- संध्या पूजा के बाद घर में बनने वाले भोजन को भगवान को जरूर अर्पित करें.

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