
देश कई राज्य भारी बारिश और बाढ़ की मार झेल रहे हैं. ऐसे में संक्रामक बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है. वास्तु अपनाकर भी संक्रामक बीमारियों से दूर रहा जा सकता है. वास्तु विज्ञान के अनुसार घर के किस भाग में संक्रामक बीमारियों का कितना असर हो सकता है, बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य डॉ अरुणेश कुमार शर्मा.
गले में तकलीफ अनुभव करना भी संक्रामक बीमारियों का संकेत है. ग्रहों से समझें तो गले में होने वाले कफ का कारक शुक्र ग्रह है. गले में खराश और स्वर में बदलाव भी शुक्र से संबंध रखता है. तापमान के कारक ग्रह सूर्य और मंगल हैं. शरीर में दर्द उठना वात दोष है. वात का कारक गुरु ग्रह है.
वास्तु के अनुसार ईशान कोण या कहें उत्तर-पूर्व गुरु ग्रह का क्षेत्र है. इस दिशा में साफ-सफाई और खुलापन संक्रामक रोगों से बचाता है. कोरोना रोगी का यहां रहना क्षेत्र को दूषित करता है. इससे बीमार की तकलीफ बढ़ने के साथ अन्य लोगों को संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है. बेहतर होगा कि ईशान की विपरीत दिशा नैरक्त्य कोण अर्थात् दक्षिण-पश्चिम पेशेंट को रखा जाए. आराम भी ज्यादा मिलेगा.
शुक्र की दिशा दक्षिण-पूर्ण यानि आग्नेय कोण है. कफ प्रकोप से पीड़ित कोरोना पेशेंट को यहां न रखें. आग्नेय कोण की विपरीत दिशा वायव्य कोण में पेशेंट की व्यवस्था करें. वायव्य कोण का चंद्रमा है. पेशेंट को जलीय उपचार के रूप में गर्म पानी, काढ़ा, चाय दें.
संक्रामक बीमारी से सामान्य बचाव के लिए पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम दिशा में अधिकाधिक रहने की आदत बनाएं. सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में रखें. ध्यान रखें, पैरों की ओर खिड़की दरवाजा न हो.
संक्रामक बीमारी से बचाव में शनि ग्रह प्रभावशाली हैं. घर के धूप वाले हिस्से में शाम को कुछ देर रहें. खुले और कम भीड़ वाले क्षेत्र में रहते हैं तो मैदान और सड़क पर मास्क लगाकर भ्रमण कर सकते हैं. प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए.