
ज्योतिषीय उपायों में मुख्य रूप से नौ रत्नों की चर्चा की गयी है परन्तु ये रत्न कभी कभी बहुत ज्यादा महंगे होते हैं और कभी कभी इनके नकली होने की सम्भावना भी होती है. रत्नों के स्थान पर उपरत्न भी पहने जाते हैं जो सस्ते भी होते हैं और कारगर भी. उपरत्न और रत्न में मुख्य अंतर यही है कि रत्न ज्यादा लम्बे समय तक काम करते हैं जबकि उपरत्न कम समय के लिए प्रभावशाली होते हैं. एक ग्रह के लिए मुख्य रूप से एक रत्न और कई सारे उपरत्न होते हैं. सही उपरत्न का चुनाव करके धारण किया जाय तो निश्चित लाभ होता है.
सूर्य
- सूर्य का मुख्य रत्न है - माणिक्य
- माणिक्य के स्थान पर तामड़ी , लालड़ी , लाल तुरमली और गार्नेट भी पहन सकते हैं
- पर माणिक्य का सबसे अच्छा उपरत्न "स्पाइनल" होता है
- इसे अनामिका अंगुली में ताम्बे में धारण करना चाहिए
चन्द्रमा
- चन्द्रमा का मुख्य रत्न है - मोती
- मोती के उपरत्न हैं - मून स्टोन , ऐगेट और
- मोती के स्थान पर चांदी में मूनस्टोन धारण करना सबसे ज्यादा उत्तम होता है
मंगल
- मंगल का मुख्य रत्न है - मूंगा
- मूंगे का एक ही उत्तम उपरत्न है - लाल हकीक
- इसे ताम्बे में धारण करना लाभकारी होता है
बुध
- बुध का मुख्य रत्न होता है - पन्ना
- पन्ने के बहुत सारे उपरत्न होते हैं - हरा बैरुज , ओनेक्स , मरगज आदि
- परंतु इनमे सबसे अच्छा उपरत्न है - मरगज
- इसे चांदी में धारण करना शुभ होता है
बृहस्पति
- बृहस्पति का मुख्य रत्न है - पीला पुखराज
- पीले पुखराज के उपरत्न हैं - पीला बैरुज , सुनहला , येलो सिट्रीन आदि
- इसमें पीला बैरुज सबसे अच्छा उपरत्न है
- इसे पीतल या स्वर्ण में धारण करना शुभ होता है
शुक्र
- शुक्र का मुख्य रत्न है - हीरा
- हीरे के उपरत्न हैं - जरकन , अमेरिकन डायमंड और ओपल
- इनमे ओपल सबसे अच्छा उपरत्न है
- कभी कभी तो ओपल हीरे से भी ज्यादा अच्छा काम करता है
- इसे चांदी में धारण करना चाहिए
शनि
- शनि का मुख्य रत्न है - नीलम
- नीलम के उपरत्न हैं - नीली , नीला टोपाज , लाजवर्त , सोडालाइट आदि
- पर नीलम का सबसे अच्छा उपरत्न है - तंजनाईट
- इसे चांदी में धारण करना शुभ होता है