
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद आज पहली बार योगी आदित्यनाथ अपने संसदीय क्षेत्र गोरखपुर जाएंगे. वे 26 मार्च को गोरखपुर में योगीराज बाबा गंभीरनाथ की शताब्दी पुण्यतिथि समारोह में शामिल होंगे. यह समारोह गोरखनाथ मंदिर में सुबह 11 बजे से शुरू होगा. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर की यह पहली यात्रा है.
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कौन थे बाबा गंभीरनाथ
गुरु गोरखनाथ जी की परम्परा के संतो में योगीराज बाबा गंभीरनाथ का नाम अग्रणी है. उन्होंने योग और ज्ञान का अनूठा समन्वय कर योग के सच्चे स्वरूप को प्रस्तुत किया था. कोई नहीं जानता की उनका जन्म कब हुआ था. वे 21 मार्च 1917 को ब्रह्मलीन हुए थे. वे 20वीं सदी के नाथ संप्रदाय के महान सिद्धपुरुष माने जाते हैं. इनका जन्म कश्मीर क्षेत्र के एक गांव में हुआ था. धनी परिवार में जन्म लेने के बावजूद वे जन्म से ही सरल स्वभाव के थे.
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उन्होंने युवावस्था में ही गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मठ पहुंचकर महंत बाबा गोपालदास से योग की शिक्षा ली. वाराणसी में गंगातट पर रहकर उन्होंने योगाभ्यास किया. बाद में झूसी (प्रयाग) की एक गुफा में तीन वर्ष तक साधना की. कैलाश मानसरोवर भ्रमण के दौरान उन्हें अनेक योगियों के दर्शन हुए थे और उनसे मिलने का मौका मिला था. अमरकंटक में भी रहकर उन्होंने तपस्या की. उन्होंने गया के कपिलधारा तीर्थ में भी काफी समय तक साधना की थी.
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बाबा गंभीरनाथ, गुरु गोरखनाथ सम्प्रदाय के संत थे अत: उन्होंने गोरखपुर पीठ को ही अपने जीवन की तप:स्थली बना लिया था. उन्होंने यहाँ रहकर आदिनाथ भगवान शिव द्वारा प्रतिपादित तथा गुरु गोरखनाथ द्वारा प्रकाशित योग की निरन्तर साधना की. उन्होंने अनेक हिन्दूधर्म शास्त्रों का गहन अध्ययन किया था. श्रीमद्भगवद्गीता में उनकी अनन्य निष्ठा थी. बाबा गंभीरनाथ यहीं पर साधना करते हुए 21 मार्च 1917 को समाधि प्राप्त की. गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर के प्रांगण में ही उनका समाधी मंदिर बना हुआ है.