
आज दूर्वा अष्टमी मनाई जा रही है. ये हर साल भाद्रपद के महीने में मनाई जाती है. गणपति की पूजा करते समय दूर्वा यानी पवित्र घास का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है. गणेश भगवान की पूजा में दूर्वा का इस्तेमाल बहुत शुभ माना जाता है. माना जाता है कि दूर्वा अष्टमी का व्रत करने और पूरे विधि विधान से पूजा करने पर सौभाग्य और सुख की प्राप्ति होती है. इस दिन दूर्वा के साथ भगवान गणेश और शिव की पूजा की जाती है.
दूर्वा अष्टमी की पूजा विधि- घर के मंदिर में दही, फूल और अगरबत्ती समेत सभी पूजन सामग्री इकट्ठा करके रखें. इन सामग्री को दूर्वा को अर्पित कर इस पवित्र घास की पूजा करें. अब इस दूर्वा को भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती को चढ़ाकर इनकी पूजा करें. इस दिन भगवान गणेश को तिल और मीठे आटे से बनी रोटी का भोग लगाया जाता है. इसके बाद ब्राह्मणों को कपड़े और भोजन दान करें. इससे भाग्योदय होता है.
दूर्वा अष्टमी पर करें ये खास उपाय- इस दिन सिंदूरी रंग के वस्त्र पहनने चाहिए और माथे पर तिलक लगाना चाहिए. ऊँ नमः शिवाय मंत्रा का जाप करें साथ ही गणेश जी पर 11 दूर्वा चढ़ाएं. आज के दिन शिव मंदिर में तिल और गेहूं का दान करने से दांपत्य जीवन अच्छा होता है.
दूर्वा अष्टमी की पौराणिक कथा- पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु कूर्म अवतार धारण करके समुद्र मन्थन के दौरान मन्दराचल पर्वत की धुरी में विराजमान हो गए थे. मन्दराचल पर्वत के तेज गति से घूमने के कारण भगवान विष्णु के शरीर से कुछ रोम निकलकर समुद्र में गिर गए. भगवान विष्णु के ये रोम अमृत प्रभाव से पृथ्वीलोक पर दूर्वा घास के रूप में उत्पन्न हो गए. इसलिए दूर्वा को बहुत ही पवित्र माना जाता है.