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देश के इस हिस्से में दीपावली पर नहीं होती लक्ष्मी पूजा, जानें किसे पूजते हैं लोग

दीपावली पर देश में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा है, पर पश्चिम बंगाल और बंगाली समुदाय इस दिन मां काली की पूजा करता है. दीपावली के दिन यानी अमावस्या की अर्धरात्रि में की जाती है.

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वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 7:53 AM IST

दीपावली पर देश में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा है, पर पश्चिम बंगाल और बंगाली समुदाय इस दिन मां काली की पूजा करता है. दीपावली के दिन यानी अमावस्या की अर्धरात्रि में की जाती है.

क्यों होती है काली मां की पूजा:

एक अमावस्या में मां दुर्गा का आगमन होता है. जिसे हम शारदीय नवरात्र के तौर पर जानते हैं. 15 दिन बाद दूसरी अमावस्या में मां काली की पूजा करने की प्रथा बंगाल में रही है.

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अलग से होती है लक्ष्मी की पूजा:

दशमी के 6 दिन बाद बंगाल में लक्ष्मी की पूजा होती है. हालांकि, जैसे उत्तर भारत और देश के बाकी हिस्सों में लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा होती है वैसे लक्ष्मी की पूजा नहीं होती है. बंगाल में लक्ष्मी पूजा के दिन सिर्फ मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की जाती है.

कैसे होती है काली मां की पूजा:

पूजा में माता को विशेष रूप से 108 गुड़हल के फूल, 108 बेलपत्र एवं माला, 108 मिट्टी के दीपक और 108 दुर्वा चढ़ाने की परंपरा है. साथ ही मौसमी फल, मिठाई, खिचड़ी, खीर, तली हुई सब्जी तथा अन्य व्यंजनों का भी भोग माता को चढ़ाया जाता है. तड़के 4 बजे तक चलने वाली इस पूजा की विधि में होम-हवन व पुष्पांजलि का समावेश होता है. इस मौके पर अधिकांश महिला व पुरुष सुबह से उपवास रखकर रात्रि में माता को पुष्पांजलि अर्पित करते हैं.

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काली की उपासना के महत्व:

शक्ति सम्प्रदाय की प्रमुख देवी हैं मां काली, यह कुल दस महाविद्याओं के स्वरूपों में स्थान पर हैं. शक्ति का महानतम स्वरुप महाविद्याओं का होता है. काली की पूजा-उपासना से भय खत्म होता है. इनकी अर्चना से रोग मुक्त होते हैं. राहु और केतु की शांति के लिए मां काली की उपासना अचूक है. मां अपने भक्तों की रक्षा करके उनके शत्रुओं का नाश करती हैं. इनकी पूजा से तंत्र-मंत्र का असर खत्म हो जाता है.

काली की पूजा के नियम:

दो तरीके से मां काली की पूजा की जाती है, एक सामान्य और दूसरी तंत्र पूजा. सामान्य पूजा कोई भी कर सकता है, पर तंत्र पूजा बिना गुरू के संरक्षण और निर्देशों के नहीं की जा सकती. काली की उपासना सही समय मध्य रात्रि का होता है. इनकी पूजा में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व है. मां काली के मंत्र जाप से ज्यादा इनका ध्यान करना उपयुक्त होता है.

दुश्मनों से छुटकारा पाने के लिए करें काली की उपासना:

मां काली की उपासना शत्रु और विरोधी को शांत करने के लिए करनी चाहिए किसी के मृत्यु के लिए नहीं. आप विरोधी या किसी शत्रु से परेशान हैं तो उस समस्या से बचने के यह उपाय हैं. आपके शत्रु अगर आपको परेशान करते हों तो आप लाल कपड़े पहनकर लाल आसन पर बैठें मां काली के समक्ष दीपक और गुग्गल की धूप जलाएं. मां को प्रसाद में पेड़े और लौंग चढ़ाएं. इसके बाद 'ऊँ क्रीं कालिकायै नमः' का 11 माला जाप करके, शत्रु और मुकदमे से मुक्ति की प्रार्थना करें. मंत्र जाप के बाद 15 मिनट तक पानी नहीं छुएं. यह अर्चना लगातार 27 रातों तक करें. ऐसी मान्यता है कि इन उपायों को करके आप मां काली का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

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