
Karwa Chauth 2023: इस बार करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार करके पूजा करती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. हालांकि, करवा चौथ के पूजन की जानकारी सभी महिलाओं को होती है. लेकिन, करवा चौथ की थाली बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिससे पति की पूजा की जाती है. करवा चौथ की थाली को बहुत ही शुभ माना जाता है. चलिए जानते हैं कि करवा चौथ की थाली में क्या- क्या सामग्री होनी चाहिए और पूजा करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए.
करवा चौथ की थाली और सामग्री
करवा चौथ पूजन सामग्री
करवा चौथ के पूजन थाली में करें ये चीजें शामिल- चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, कुंकू, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा, दक्षिणा (दान) के लिए पैसे, इत्यादि.
करवा चौथ पूजन विधि
करवा चौथ के पूरे दिन निर्जल रहना होता है. इस दिन पूजा के लिए आठ पूरियों की अठावरी बनाएं, हलवा बनाएं. साथ ही पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेश जी बनाकर बिठाएं. गौरी को चुनरी ओढ़ाएं. बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें. जल से भरा हुआ लोटा रखें. करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें. उसके ऊपर दक्षिणा रखें. रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं.
गौरी-गणेश की परंपरानुसार पूजा करें. पति की दीर्घायु की कामना करें. करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें. कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासू जी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें. रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्ध्य दें. इसके बाद पति से आशीर्वाद लें. उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें. सास अपनी बहू को सरगी भेजती है. सरगी में मिठाई, फल, सेवइयां आदि होती है. इसका सेवन महिलाएं करवा चौथ के दिन सूर्य निकलने से पहले करती हैं.