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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर करें ये उपाय, भगवान सूर्य का मिलेगा आशीर्वाद

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का पर्व पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. हालांकि, मकर संक्रांति को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों जैसे लोहड़ी, उत्तरायण, खिचड़ी, टिहरी, पोंगल आदि कई नामों से जाना जाता है. इसी दिन से खरमास खत्म होता है और शुभ व मांगलिक कार्यों जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश आदि की शुरुआत होती है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:00 AM IST

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को है. इस त्योहार को भारत देश के सभी लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन ग्रहों के राजा सूर्य धनु राशि को छोड़कर अपने पुत्र शनि की राशि में आते हैं. सूर्य और शनि का संबंध मकर संक्रांति के पर्व से होने के कारण काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.

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इस दिन से ही शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. यह पर्व दान-पुण्य के लिए बहुत शुभ दिन माना जाता है. इस दिन तिल के दान का अधिक महत्व बताया गया है और चावल, दाल, खिचड़ी और गुड़ का भी दान करना अतिफलदायी माना जाता है. ज्योतिषियों की मानें तो, मकर संक्रांति के दिन कुछ खास उपाय भी करने चाहिए. 

मकर संक्रांति पर करें ये उपाय

1. मकर संक्रांति के दिन स्नान करने के पानी में काले तिल डालें. तिल के पानी से स्नान करना बेहद ही शुभ माना जाता है. साथ ही ऐसा करने वाले व्यक्ति को रोग से मुक्ति मिलती है.

2. मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और सूर्य देव को चढ़ाए जाने वाले जल में तिल अवश्य डालें. ऐसा करने से इंसान की बंद किस्मत के दरवाजे खुलते हैं.

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3. इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, घी, दाल चावल की खिचड़ी और तिल का दान करने से गलती से भी हुए पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है. 

4. पितरों की शांति के लिए इस दिन उन्हें जल देते समय उसमें तिल अवश्य डालें. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

मकर संक्रांति पूजन विधि

इस दिन पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठकर साफ सफाई कर लें. इसके बाद यदि संभव हो तो आसपास किसी पवित्र नदी में स्नान करें. यदि ऐसा करना संभव न हो तो घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें. यदि आप व्रत रखना चाहते हैं तो इस दिन व्रत का संकल्प लें. इस दिन पीले वस्त्र पहनें क्योंकि इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है और फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें. इसके बाद सूर्य चालीसा पढ़ें और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ जरूर करें.  अंत में आरती करें और गरीबों को दान करें क्योंकि इस दिन दान करने का विशेष महत्व है.
 

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