
Magha Shradh 2023: पितृ पक्ष का मघा श्राद्ध आज है. पितृ पक्ष में सबसे महत्वपूर्ण मघा श्राद्ध माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में मघा नक्षत्र दसवां नक्षत्र होता है. यह श्राद्ध पूर्वजों के सम्मान में किया जाता है. यह श्राद्ध इंदिरा एकादशी के दिन पड़ रहा है इसलिए इसका महत्व ओर ज्यादा बढ़ गया है. मघा नक्षत्र का स्वामी केतु हैं. आइए जानते हैं कि मघा श्राद्ध पर पितरों की शांति के लिए कैसे अनुष्ठान किया जाता है और क्या है तर्पण की सही विधि.
मघा श्राद्ध का महत्व
मत्स्य पुराण में मघा श्राद्ध सहित पितृ पक्ष श्राद्ध का महत्व बताया गया है. पितृ पक्ष के दौरान मघा श्राद्ध एक शुभ दिन होता है. यह वो विशेष दिन होता है, जब मघा नक्षत्र प्रबल होता है, यह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि मघा नक्षत्र पर 'पितरों' का प्रभाव होता है. ऐसा माना जाता है कि मघा पर तर्पण अनुष्ठान करने से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और पुण्य भी प्राप्त होता है. इस पूजा के परिणामस्वरूप, पितरों को मुक्ति और शांति प्राप्त होती है. तर्पण और पिंडदान से संतुष्ट होने के बाद पितरों द्वारा आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मघा श्राद्ध की विधि
श्राद्ध में अपने पितरों की तस्वीर को सामने रखें. उन्हें चन्दन की माला अर्पित करें और सफेद चन्दन का तिलक करें. इस दिन पितरों को खीर अर्पित करें. खीर में इलायची, केसर, शक्कर, शहद मिलाकर बनाएं और गाय के गोबर के उपले में अग्नि प्रज्वलित कर अपने पितरों के निमित तीन पिंड बना कर आहुति दें. इसके पश्चात, कौआ, गाय और कुत्तों के लिए प्रसाद खिलाएं. इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और स्वयं भी भोजन करें.
मघा श्राद्ध मुहूर्त
कुतुप मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक
रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से दोपहर 1 बजकर 19 मिनट तक
अपराह्न काल- दोपहर 1 बजकर 19 मिनट से दोपहर 3 बजकर 39 मिनट तक
आगामी श्राद्ध तिथियां
11 अक्टूबर 2023, बुधवार- द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023, गुरुवार- त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार- चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023, शनिवार- सर्व पितृ अमावस्या