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हवन के बिना अधूरी है मानी जाती है दुर्गा पूजा, जानें नवरात्रि में इसका महत्व

17 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरूआत हो रही है. इन नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में भक्त मां को प्रसन्न करने का हर प्रयास करते हैं लेकिन हवन के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है. नवरात्रि में हवन करने वाले भक्तों को उनकी साधना का पूर्ण फल मिलता है.

नवरात्रि में हवन का महत्व नवरात्रि में हवन का महत्व
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 6:08 PM IST
  • 17 अक्टूबर से शुरू होगी नवरात्रि
  • नवरात्रि में हवन का विशेष महत्व
  • मां दुर्गा का मिलता है आशीर्वाद

हवन हिंदू परंपरा का एक प्रमुख कर्मकांड है. इसमें अग्नि में कुछ पदार्थों का मिश्रण डाला जाता है. ऐसा माना जाता है कि हवन की अग्नि में जो पदार्थ डालते हैं वो सीधा देवताओं तक पहुंचकर उन्हें तृप्त करता है. वैसे तो हर पूजा पाठ में हवन करना शुभ माना जाता है लेकिन नवरात्रि में हवन के बिना दुर्गा मां की पूजा अधूरी मानी जाती है. नारद पुराण के अनुसार हवन दुर्गा पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है.

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हवन का महत्व

इस बार नवरात्रि की शुरूआत 17 अक्टूबर से हो रही है. कहा जाता है कि जो लोग दुर्गा पूजा में हवन नहीं करते उन्हे पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है. नवरात्रि में जो साधक हर दिन हवन नहीं कर सकते हैं उन्हें नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी के दिन हवन जरूर करना चाहिए. इससे उन्हे नौ दिन की साधना का पूर्ण फल प्राप्त होता है और दुर्गा मां का आशीर्वाद मिलता है.  ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के आखिरी दिन हवन करने से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में धन व सम्मान का आगमन होता है.

नवरात्रि में कैसे करें हवन

दुर्गा हवन के लिए दुर्गा सप्तशती के 11 पाठ किए जाते हैं. हवन सामग्री के लिए आम की लकड़ी, बेल, नीम, देवदार की जड़, चंदन की लकड़ी, तिल, अश्वगंधा की जड़, कपूर, लौंग, अक्षत, ब्राम्ही, बहेड़ा का फल, घी, तिल, लोबान, इलायची और अन्य वनस्पतियों का बूरा मिश्रित करके हवन सामग्री तैयार की जाती है.

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मां को कैसे प्रसन्न करें

नवरात्रि में दुर्गा मां को लाल गुड़हल फूल की माला चढ़ाएं. हर दिन धूप दीप जलाकर मां की पूजा करें. नवरात्रि के नौ दिनों के हिसाब से हर दिन मां को अलग-अलग चीजों का भोग लगाएं.

शारदीय नवरात्रि का कार्यक्रम

17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा

 

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