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Trayodashi Shradh 2024: आज है पितृ पक्ष का त्रयोदशी श्राद्ध, जानें क्यों है आज की तिथि बेहद खास

Trayodashi Shradh 2024: आज श्राद्ध पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. इस तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि पर हुई. त्रयोदशी या अमावस्या के दिन मृत बच्चों का श्राद्ध भी उपयुक्त बताया गया है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

Trayodashi Shradh 2024: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी 17 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हुई थी, जो अब समाप्ती की ओर है. आज श्राद्ध पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. इस तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि पर हुई. त्रयोदशी या अमावस्या के दिन मृत बच्चों का श्राद्ध भी उपयुक्त बताया गया है. आइए जानते हैं त्रयोदशी श्राद्ध के लिए सही समय, तर्पण, शुभ मुहूर्त और विधि.

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त्रयोदशी श्राद्ध 2024 शुभ मुहूर्त (Trayodashi Shradh 2024 muhurat)

त्रयोदशी श्राद्ध का कुतुप मूहूर्त आज दिन के 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 तक रहेगा. इसकी अवधि 48 मिनटों की होगी. वहीं, रौहिण मूहूर्त दोपहर 12 बजकर 35 से 01 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. इसकी अवधि भी 48 मिनटों की होगी. अपराह्न काल दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से 3 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. इसकी अवधि 2 घंटे 23 मिनट होगी. 

त्रयोदशी श्राद्ध 2024 तिथि (Trayodashi Shradh 2024 tithi)

त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर यानी कल शाम 4 बजकर 47 मिनट से 30 सितंबर यानी आज शाम 7 बजकर 06 मिनट तक रहेगी. 

त्रयोदशी श्राद्ध महत्व 

त्रयोदशी श्राद्ध तिथि को अलग-अलग जगहों पर अलग नामों से भी जाना जाता है. जैसे गुजरात में इसे काकबली एवं बालभोलनी तेरस के नाम से भी जाना जाता है. दूसरी ओर, कई जगहों पर इसे तेरस श्राद्ध भी कहा जाता है.

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त्रयोदशी तिथि मृत बच्चों के श्राद्ध के लिए शुभ कही जाती है. हालांकि, पितृपक्ष में बच्चे की मृत्यु तिथि पर ही उसका श्राद्ध किया जाता है, लेकिन अगर तिथि का पता ना हो तो त्रयोदशी पर पूर्ण विधि विधान से श्राद्ध कर सकते हैं. इस तिथि पर किया गया श्राद्ध बच्चों की मृत आत्मा को प्राप्त होता है.

त्रयोदशी श्राद्ध कैसे करें

त्रयोदशी श्राद्ध के लिए, पितृ पक्ष में आने वाली त्रयोदशी को चुना जाता है. त्रयोदशी श्राद्ध के दिन पितरों को अन्न-जल का भोग लगाया जाता है. इस दिन पूर्वजों के लिए मोक्ष की कामना की जाती है और मंत्रों का जाप किया जाता है. श्राद्ध करने वाले जातक पहले स्वयं स्नान करके शुद्ध हो जाएं, उसके बाद श्राद्ध कर्म करने वाले स्थान को भी शुद्ध कर लें. फिर, कुश, जल, तिल, गंगाजल, दूध, घी, शहद की जलांजलि देने के बाद दीपक, अगरबत्ती, धूप जलाएं.

श्राद्ध से पहले पितरों का स्मरण करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें. फिर, तिल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं. अब पितरों की पसंद का भोजन बनाकर उसमें से गाय, कौवा, चींटी, कुत्ते जैसे जीवों के लिए एक-एक अंश निकालें. इस दौरान पितरों का आह्वान कर उनसे भोजन ग्रहण करने की प्रार्थना करें. इसके बाद ब्राह्मण को भी भोजन कराएं

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