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Vaibhav Lakshmi Aarti: शुक्रवार के दिन करें वैभव लक्ष्मी जी की आरती, होंगी सभी इच्छाएं पूरी

Vaibhav Lakshmi Aarti: देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे आसान तरीका है, वैभव लक्ष्मी की उपासना. यह मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से ही एक है. ज्योतिषी कहते हैं कि वैभव लक्ष्मी का व्रत रखने से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

वैभव लक्ष्मी व्रत वैभव लक्ष्मी व्रत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

Vaibhav Lakshmi Aarti: शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित है. इस दिन माता लक्ष्मी के नाम की आरती और कथा पढ़ना बहुत ही शुभ माना जाता है. कहते हैं कि शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की उपासना करना बहुत ही शुभ माना जाता है. साथ ही जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है. ऐसी मान्यता है कि वैभव लक्ष्मी के व्रत को 11 या 21 शुक्रवार तक करना चाहिए.

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अगर किसी कारण के चलते आप किसी शुक्रवार व्रत नहीं कर पा रहे हैं तो मां से माफी मांग कर अगले शुक्रवार को व्रत करें.  वैभव लक्ष्मी का व्रत स्त्री और पुरुष में से कोई भी रख सकता है. वैभव लक्ष्मी की पूजा के दौरान मां की आरती और मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए. इससे घर में सुख, समृद्धि, शांति, सौभाग्य, वैभव, पराक्रम और सफलता का वास होता है. आइए पढ़ते हैं श्री वैभव लक्ष्मी जी की आरती. 

वैभव लक्ष्मी जी की आरती

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

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तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

माता लक्ष्मी की पूजन विधि

शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. व्रत का संकल्प लेने के बाद एक मुट्ठी चावल और जल से भरा हुआ तांबे का लोटा साफ प्लेट में रखें. इसे देवी की प्रतिमा के पास रख दें. देवी को धूप, दीप, सुगंध और श्वेत फूल अर्पित करें. व्रत के दिन खीर से माता को भोग लगाना चाहिए. शुक्रवार व्रत कथा सुनें और माता लक्ष्मी की आरती करें. 

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