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Varuthini Ekadashi: सौभाग्य का प्रतीक है वरुथिनी एकादशी व्रत, लोक-परलोक में मिलता है पुण्य

Varuthini Ekadashi 2019: मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी पर व्रत रखने से इस लोक के साथ परलोक में भी पुण्य मिलता है. इस बार वरुथिनी एकादशी व्रत मंगलवार 30 अप्रैल 2019 को है.

वरुथिनी एकादशी 2019 वरुथिनी एकादशी 2019
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:39 AM IST

Varuthini Ekadashi 2019: वरुथिनी एकादशी की व्रत पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है. इस व्रत को सौभाग्य प्रदान करने वाला व्रत भी कहा जाता है. मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी में व्रत करने से बच्चे दीर्घायु होते हैं, उन्हें किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है. दुर्घटना से सुरक्षित रहते हैं. इसमें विष्णु भगवान की व्रत-पूजा की जाती है. माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से विष्णु भगवान प्रसन्न होकर खूब धन देते हैं. वैशाख मास में 2 एकादशी आती हैं, जिसमें कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी पर व्रत रखने से इस लोक के साथ परलोक में भी पुण्य मिलता है. इस बार वरुथिनी एकादशी व्रत मंगलवार 30 अप्रैल 2019 को है.

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कैसे करें वरुथिनी एकादशी की पूजा-

- इसमें विष्णु भगवान की व्रत-पूजा की जाती है.

- सुबह गंगाजल डालकर स्नान करें और सफ़ेद वस्त्र पहनें.  

- एक कलश की स्थापना करें.

- कलश के ऊपर आम के पल्लव, नारियल, लाल चुनरी बांधकर रखें.  

- धूप, दीपक जलाकर बर्फी, खरबूजा और आम का भोग लगाएं और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें.  

- यह व्रत अगले दिन पूजा पाठ करके ही खोला जाता है और तब तक सिर्फ फलाहार ही करते हैं.  

वरुथिनी एकादशी की कथा क्या है-

कहा जाता है कि वर्षों पहले नर्मदा नदी के तट पर एक राजा रहा करता था. इस राजा का नाम मानधाता था. राजा बहुत दयालु, धार्मिक और दान करने वाला था और भगवान को बहुत मानता था. वो जंगल में बैठकर घंटो भगवान विष्णु को पाने के लिए उनकी तपस्या करता था. एक दिन वो तपस्या में बहुत लीन हो गया, तब एक जंगली भालू आ गया और वो राजा को मुंह से पकड़कर जंगल की ओर ले जाने लगा. लेकिन राजा ने जरा भी क्रोध नहीं किया और उन्होंने अपनी तपस्या भी नहीं तोड़ी. बल्कि भगवान विष्णु से प्रार्थना की 'हे भगवन मुझे इस संकट से बचाओ.' अंततः भगवान विष्णु वहां प्रकट हो गए.

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इसके बाद भगवान विष्णु ने प्रकट होकर अपने चक्र से भालू को मार गिराया. भालू ने राजा का पैर जख़्मी कर दिया था और राजा बहुत दुखी था. विष्णु जी ने राजा से कहा तुम मथुरा जाओ और वहा वरुथिनी एकादशी का व्रत करो और मेरी वराह अवतार मूर्ती की पूजा करो. तुम्हारे सारे अंग और पैर ठीक हो जाएंगे. राजा ने ऐसा ही किया और वो बिल्कुल ठीक हो गया. इस तरह जो वरुथिनी एकादशी की व्रत-पूजा करता है. उसको चोट नहीं लगती और उसके साथ कोई दुर्घटना भी नहीं होती है.

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