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साइंस न्यूज़

AI ने खोजा बुढ़ापा खत्म करने का सबसे ताकतवर इलाज, जल्द बन जाएगी दवा

aajtak.in
  • लंदन,
  • 07 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 7:13 PM IST
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बुढ़ापा कम करने की दवा जल्द मिलेगी क्योंकि जवान बनाए रखने का सबसे ताकतवर कण मिल गया है. यानी मॉलीक्यूल. इसे खोजा है एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने. यानी AI ने. असल में किसी भी चीज की दवा खोजना बेहद कठिन काम है. इस काम बहुत ज्यादा मेहनत और समय लगता है. लेकिन AI के जरिए यानी मशीन लर्निंग के जरिए यह काम आसान हो सकता है. (सभी फोटोः गेटी)

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यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड मॉलीक्यूलर मेडिसिन की शोधकर्ता वेनेसा मेर-बारेटो ने बताया कि हमने एआई का इस्तेमाल करके तीन ऐसे ताकतवर मॉलीक्यूल खोजे हैं. जो सेनोलाइटिक ड्रग्स (Senolytic Drugs) बनाने में मदद करेंगे. ये वो दवाएं होती हैं, जो बुढ़ापे को कम करती है. बुजुर्गियत में होने वाली बीमारियों से बचाती हैं. 
 

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सेनोलाइटिक दवाएं सेनेसेंट कोशिकाओं (Senescent Cells) को मारती हैं. ये कोशिकाएं जिंदा होती हैं, लेकिन ये रेप्लिकेट नहीं करतीं. इसलिए इन्हें जॉम्बी कोशिका (Zombie Cells) कहते हैं. रेप्लिकेट नहीं करना कोई बुराई नहीं है. क्योंकि इन कोशिकाओं के डीएनए क्षतिग्रस्त हो चुके होते हैं. 

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त्वचा की कोशिकाएं सूरज की किरणों से बर्बाद होती हैं. वो रेप्लिकेशन करना यानी खुद से और कोशिकाएं पैदा करने की प्रक्रिया रोक देती हैं. फिर इसका असर आसपास की कोशिकाओं पर पड़ता है. जिससे वो सब रेप्लिकेशन रोक देते हैं. इससे ही त्वचा पर झुर्रियां पड़नी शुरू हो जाती हैं. त्वचा ढीली होने लगती है. लटकने लगती है. ये है बुढ़ापे का लक्षण.

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सेनेसेंट कोशिकाएं हमेशा अच्छी भी नहीं होतीं. ये ऐसे प्रोटीन्स रिलीज करती हैं जो आसपास की कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं. काफी समय तक ऐसे चलते रहने पर पूरे शरीर में ये प्रोटीन फैल जाता है. कोशिकाएं रेप्लिकेशन रोक देती हैं. इससे आप सूरज की किरणों को बर्दाश्त नहीं कर पाते. 

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ज्यादा सेनेसेंट कोशिकाओं से नुकसान बढ़ जाता है. ज्यादा मात्रा में इनकी मौजूदगी से कई तरह की बीमारियां होती हैं. जैसे- टाइप-2 डायबिटीज, कोविड, पल्मोनरी फाइब्रोसिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस और कैंसर. लैब में यह बात पुख्ता हो चुकी है कि चूहों से सेनेसेंट कोशिकाओं को सेनोलाइटिक्स का इस्तेमाल करने से चूहे बीमारियों से बच गए. 

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सेनोलाइटिक दवाएं इन जॉम्बी कोशिकाओं को मारकर स्वस्थ और रेप्लिकेट करने वाली सेल्स को सही-सलामत रखते हैं. अब तक दुनिया में 80 सेनोलाइटिक दवाओं के बारे में खोज हो चुकी है. लेकिन सिर्फ दो दवाओं का ही परीक्षण इंसानों पर हुआ है. ये दवाएं थीं डासाटिनिब और क्वरसेटिन का मिश्रण. अगर और सेनोलाइटिक मिलें तो अगले 20 साल में बुढ़ापे को रोका जा सकेगा. बुढ़ापे से जुड़ी बीमारियों को ठीक किया जा सकेगा. 

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शोधकर्ता वेनेसा मेर-बारेटो ने बताया कि वो और उनके साथियों ने स्पेन के नेशनल रिसर्च काउंसिल के वैज्ञानिक नए सेनोलाइटिक केमिकल की खोज करना चाहते थे. हम सब ने एक मशीन लर्निंग मॉडल बनाया. ताकि नए सेनोलाइटिक ड्रग्स की खोज की जा सके. हमने मॉडल्स को बताया कि सेनोलाइटिक और नॉन-सेनोलाइटिक पदार्थ कौन-कौन से हैं.

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इसके बाद मॉडल ने 4340 मॉलीक्यूल्स में 21 बेस्ट मॉलीक्यूल निकाल कर दे दिए. इस काम में उसे सिर्फ पांच मिनट लगे. ये 21 मॉलीक्यूल्स ही भविष्य में बुढ़ापा रोकने के लिए सबसे बेहतरनी दवाएं बनेगीं. अगर इन मॉलीक्यूल्स की जांच लैब में होती तो कई हफ्ते लगते. 52 लाख से ज्यादा तो कंपाउंड खरीदने में लग जाते. अभी मशीनरी और लैब सेटअप की कीमत तो जोड़ी भी नहीं है. 

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इसके बाद इन 21 कंपाउंड्स को स्वस्थ और सेनेसेंट कोशिकाओं पर टेस्ट किया गया. हमें बेस्ट तीन कपाउंड मिल गए. ये हैं पेरिप्लोसिन, ओलियनड्रिन और जिंगेटिन. ये तीनों कंपाउंड बुढ़ापा लाने वाली सेनेसेंट कोशिकाओं को पूरी तरह से खत्म करने में सक्षम हैं. जबकि ज्यादातर स्वस्थ कोशिकाओं को सुरक्षित रखती हैं. 
 

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इसके बाद ये देखा गया कि तीन कंपाउंड इंसानों के शरीर पर कैसे काम करेंगी. बेस्ट कौन सी है. जांच में पता चला कि ओलियनड्रिन बुढ़ापा रोकने के लिए सबसे बेहतरीन कंपाउंड है. 

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