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साइंस न्यूज़

क्या 10 साल में लापता हो जाएगी आर्कटिक की बर्फ, फिर कहां जाएंगे सफेद भालू?

aajtak.in
  • लंदन,
  • 08 जून 2023,
  • अपडेटेड 5:08 PM IST
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क्या आपने अपना घर खोने का दर्द सहा है? कभी ऐसा हुआ है कि आपके घर की सड़क की तरफ वाली दीवार गिर जाए. पूरा घर और उसका सामान असुरक्षित हो जाए. कुछ ऐसा ही हो रहा है सफेद भालुओं के साथ. उनका घर गिर रहा है. खत्म हो रहा है. पिघल रहा है. इसलिए अगले दस सालों के बाद ये भालू उत्तरी ध्रुव के इलाकों से निकलकर नीचे की तरफ आने लगेंगे. (सभी फोटोः गेटी)

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समुद्री बर्फ के लगातार पिघलने की वजह से सफेद भालू यानी ध्रुवीय भालुओं का घर खत्म हो रहा है. हाल ही में एक ऐसे ही अकेले भालू को पिघलते बर्फ के टुकड़े पर चढ़ने की जद्दोजहद करते देखा गया था. वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने स्टडी की है कि अगले 10 साल में भीषण गर्मी से बचने के लिए हमारे पास कोई संसाधन नहीं होगा. 

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2021 में आई IPCC की छठी क्लाइमेट रिपोर्ट में कहा गया था कि इस सदी के अंत तक आर्कटिक के ग्लेशियर खत्म हो जाएंगे. लेकिन नई रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले 10 साल में ग्लेशियर पूरी तरह से पिघल जाएंगे. इससे आर्कटिक पर रहने वाले जीव जन्तुओं का घर छिन जाएगा. 

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भालुओं को जब अपना घर नहीं मिलेगा तब वह निचले इलाको में आएंगे. वैज्ञानिकों ने इस बात को बेहद चिंताजनक बताया हैं. सामने आते सबूत यह बताते हैं कि आने वाला समय में धरती पर रहने वाले जीव जन्तुओं के लिए बहुत मुश्किल होने वाला है. 

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आईपीसीसी की तरह पिछली भविष्यवाणियों ने भी आर्कटिक में बदल रही स्थिति को जगजाहिर किया है. उदाहरण के लिए 2020 में एक अन्य जलवायु मॉडल ने भी भविष्यवाणी की थी कि 2035 तक गर्मियों के मौसम में आर्कटिक के समुद्री बर्फ गायब हो सकते हैं.  

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जीव जन्तुओं पर होने वाले नुकसान - हम इंसानों द्वारा किए जा रहे जलवायु परिवर्तन से जानवरों को अपना घर छोड़ना पड़ रहा है. अमेरिकी ध्रुवीय भालू अलास्का की तरफ अपना घर बनाते हैं. यह इलाका आर्कटिक रेंज में हैं. अगर आर्कटिक बर्फ पिघलती है तो वहा पर रहने वाले जीव जन्तुओं और वनस्पति पर बुरा प्रभाव पडे़गा. 

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जलवायु परिवर्तन- आर्कटिक पिघलने से जलवायु परिवर्तन की दर बढे़गी. जिससे धरती के तापमान में बढ़ोतरी होगी. बर्फ के पिघलने से समुद्री और नदियों का जलस्तर बढे़गा. पानी की ज्यादा मात्रा जमीन को कम करती चली जाएगी. 

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तापमान में बदलाव- तापमान बढ़ने से बर्फ पिघलती है. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की बर्फ पिघलने के कारण पानी की मात्रा बढ़ेगी. बढ़ते पानी की दर से बेमौसम बरसात, तूफानी गतिविधियां बढ़ेंगी. बाढ़ से जीवन पर प्रभाव पड़ सकता है.

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अमेरिका के सुदूर उत्तरी छोर से ये भालू अब दिखाई नहीं दे रहे हैं. वो एकदम से गायब हो गए हैं. अलास्का में व्हेल मछलियों का शिकार करने वाले कैप्टन हर्मन आहशोक ने कहा कि इससे पहले ऐसा नजारा कभी नहीं देखा. यहां पर पोलर बीयर दिख जाते थे, लेकिन इस समय आप एक भी ध्रुवीय भालू देखने को नहीं मिल रहा है. 

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1990 के दशक में यहां पर 127 ध्रुवीय भालू देखने को मिल जाते थे. हमारे पास इनकी निगरानी के लिए पेट्रोल टीम है. जो सिर्फ यह देखती है कि ध्रुवीय भालुओं पर कोई आफत तो नहीं है. वो सही सलामत हैं या नहीं.

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लेकिन जब बर्फ पिघलनी शुरु होने लगी तो भालुओं की संख्या कम होती चली गई. पिछले 50 सालों में अमेरिका के इस हिस्से का तापमान 4.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. वैश्विक तापमान बढ़ने से ध्रुवीय भालू बड़े पैमाने पर विस्थापित हो रहे हैं. वो अमेरिका के सुदूर उत्तरी इलाके से भागकर रूस की तरफ जा रहे हैं.

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42 ब्लेड की तरह तेज दांतों, डिनर प्लेट के बराबर आकार के पंजे और सफेद फर व काली त्वचा के नीचे 4 इंच की मोटी फैट की परत लेकर घूमने वाले ये दैत्याकार जीव जलवायु परिवर्तन की वजह से अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं. रूस के चकची सागर के पास स्थित रैंगल आइलैंड (Wrangle Island) पर साल 2017 में 589 ध्रुवीय भालू थे. जो साल 2020 में बढ़कर 747 हो चुके थे.

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