Advertisement

साइंस न्यूज़

60 करोड़ साल तक मंगल ग्रह पर होती रही Asteroids की बारिश!

aajtak.in
  • मेलबर्न,
  • 26 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:10 AM IST
  • 1/7

अगर दो दिन लगातार बारिश हो जाए तो आप परेशान हो जाते हैं. वह भी पानी से. लेकिन अगर कहीं लगातार करोड़ों सालों तक पत्थर गिर रहे हों तो. मंगल ग्रह पर 60 करोड़ सालों तक एस्टेरॉयड की बारिश (Asteroid Showers) होती रही है. इस खोज के बाद अब वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के जन्म, तारीखों का निर्धारण आदि करने के लिए फिर से स्टडी करनी होगी. कम से कम एक बार तो. (फोटोःNASA)

  • 2/7

नए अध्ययन में यह बात पता चली है कि मंगल ग्रह (Mars) की सतह पर 60 करोड़ सालों तक लगातार क्षुद्रग्रहों यानी एस्टोरॉयड की ताबड़तोड़ बारिश होती रही. जिसकी वजह से मंगल ग्रह की सतह पर इतने ज्यादा गड्ढे दिखते हैं. आमतौर पर वैज्ञानिक सतह पर मौजूद गड्ढों की वैज्ञानिक गणना करके ग्रह की उम्र का पता लगाते हैं. अगर ज्यादा गड्ढे दिखते हैं, तो ज्यादा सटीक उम्र का पता लगाया जा सकता है. (फोटोः गेटी)

  • 3/7

क्रेटर यानी गड्ढों के निर्माण की प्रक्रिया बेहद जटिल होती है. क्योंकि ये एक अनुमानित जानकारी ही देते हैं. क्योंकि अब कोई मंगल ग्रह पर तो गया नहीं है कि वहां जाकर वो गड्ढों की जांच करे. क्योंकि एस्टेरॉयड्स की टक्कर से पहले कई तो वायुमंडल में जलकर खत्म हो जाते हैं. सिर्फ बड़े वाले ही जलते-बुझते और घिसते हुए सतह पर टकराते हैं. वो ही सतह पर टकराकर गड्ढे बनाते हैं. (फोटोः गेटी)

Advertisement
  • 4/7

एक नई रिसर्च में वैज्ञानिकों की टीम ने न्यू क्रेटर डिटेक्शन एल्गोरिदम की मदद से मंगल ग्रह के 521 गड्ढों (Impact Craters) की स्टडी की. इनमें से हर गड्ढे का व्यास कम से कम 20 किलोमीटर है. लेकिन सिर्फ 49 गड्ढे ऐसे हैं जो 60 करोड़ साल पुराने हैं. इनका निर्माण लगातार हुआ है. एक के बाद एक. इससे पता चला कि 60 करोड़ सालों तक मंगल की सतह पर एस्टेरॉयड्स की बारिश होती रही है. (फोटोः गेटी)

  • 5/7

ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन यूनिवर्सिटी के प्लैनेटरी साइंटिस्ट और इस स्टडी में शामिल शोधकर्ता एंथनी लागेन ने कहा कि यह स्टडी पुराने अध्ययनों को खारिज करती है, जो ये कहते थे कि क्रेटर एक छोटे समय में बने होंगे. क्योंकि ये गड्ढे खासतौर से बड़े वाले विशालकाय एस्टेरॉयड के टकराने से बने होंगे. एस्टेरॉयड टकराकर टूटा होगा. वो टुकड़े प्रेशर से सतह पर आसपास गिरे होंगे, जिनसे अन्य गड्ढे बने होंगे. कुछ टुकड़े अंतरिक्ष में वापस निकल गए होंगे. (फोटोः गेटी)

  • 6/7

एंथनी लागेन कहते हैं कि जब दो बड़ी चीजें टकराती हैं, तो उनके टुकड़े टकराव से निकलने वाले दबाव से विपरीत दिशाओं में फैलते हैं. उनसे और इम्पैक्ट क्रेटर बनते हैं. इन्हीं में से कुछ इतनी तेजी से वापस लौटते हैं कि वो अंतरिक्ष में तैरने लगते हैं. वह भी ग्रह की ऑर्बिट में या फिर उससे बाहर दूसरे ग्रह की ओर बढ़ने लगते हैं. किसी भी ग्रह पर क्रेटर बनने की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं होती, जितने आम लोग समझते हैं. (फोटोः गेटी)

Advertisement
  • 7/7

एंथनी ने कहा कि मंगल ग्रह के ओर्डोविसियन स्पाइक (Ordovician Spike) काल का वैज्ञानिकों को फिर से अध्ययन करना होगा. क्योंकि पहले ये माना जाता था कि इसी काल में सबसे ज्यादा गड्ढे बने. यह काल करीब 47 करोड़ साल पुराना है. भविष्य में अन्य ग्रहों या फिर चांद के अध्ययन के लिए जरूरी है कि हम इस स्टडी को ध्यान में रखें. यह स्टडी हाल ही में अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस लेटर्स में प्रकाशित हुई है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Advertisement