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पक्षियों के 'अभिमन्यु': अंडे में ही पक्षी सीख लेता है गाना, स्टडी में खुलासा

aajtak.in
  • सिडनी,
  • 10 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST
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आपने महाभारत की वह कहानी तो सुनी होगी जिसमें अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने मां के गर्भ में ही चक्रव्यूह तोड़ना सीख लिया था. अभिमन्यु की तरह ही कुछ पक्षियों के बच्चे अंडे में ही गाना गाना सीख लेते हैं. वो जन्मजात गायक बन जाते हैं. अंडे से बाहर आने के बाद उन्हें सिर्फ मामूली ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है. यह हैरतअंगेज खुलासा हुआ है हाल ही में हुई एक स्टडी में. इसमें बताया गया है कि ज्यादातर पक्षियों के बच्चे अंडे में ही ये सीख लेते हैं कि बाहर आकर कैसे गाना है?  (फोटोः गेटी)

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स्टडी के मुताबिक जब ये अंडे में होते हैं और उनके आसपास के पक्षी गीत गाते हैं या फिर अलग-अलग तरह की आवाजें निकालते हैं, तब ये अंडे के अंदर उन्हें सुनते हैं या फिर उसपर प्रतिक्रिया भी देते हैं. पक्षियों की कुछ प्रजातियां तो जन्मजात गायक मानी जाती हैं. इसमें उनके जीन और दिमाग की सही वायरिंग का काम होता है जो उन्हें अंडे से बाहर आते ही लय में गाने के लिए पारंगत कर चुकी होती हैं.  (फोटोः गेटी)

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लगातार एक ही तरह की आवाजों को सुनते रहने से अंडे के अंदर और उसके बाहर आने के बाद ये छोटे पक्षी इन आवाजों को निकालने की कला सीख जाते हैं. उसमें पारंगत हो जाते हैं. उसे पता होता है कि भूख के लिए कैसी आवाज निकालनी है. खतरे में कैसी, प्रेम में कैसी या प्रजनन के लिए कैसी आवाज निकालनी है या फिर कैसे गाना है. ये उनके शरीर की महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है जो अंडे से बाहर आते ही तीव्र हो जाती है. हालांकि ये क्षमता अंडे के अंदर ही विकसित होने लगती है.  (फोटोः गेटी)

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ऑस्ट्रेलिया स्थित फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी में जीवों के व्यवहार पर काम करने वाली वैज्ञानिक डायेन कोलमबेली-नेगरेल ने कहा कि हमने अपनी स्टडी में पाया कि ये पक्षी अंडे से बाहर आने से पहले ही कई तरह के गैर-जरूरी आवाजों पर प्रतिक्रियाएं देने लगते हैं. अंडे में मौजूद भ्रूण में क्रियाएं होती हैं. जो कि उनके माता-पिता से संबंधित नहीं होती. यानी वो बाहर की आवाजों को महसूस करके उसपर रिएक्शन देते हैं.  (फोटोः गेटी)

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डायेन ने बताया कि ऐतिहासिक वर्गीकरण के मुताबिक पक्षी समेत कई जीव आवाजों की सीखने में माहिर होते हैं. ये नई आवाजों की नकल करने और उन्हें सीखने में महारत हासिल कर लेते हैं. इससे फर्क नहीं पड़ता कि कोई पक्षी अच्छी तरह से सीख पाता है या नहीं पर वो गाना जरूर गाता है. ये सब उनके दिमाग में मौजूद नर्वस सिस्टम की वायरिंग और जीन्स की वजह से होता है.  (फोटोः गेटी)

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हाल के सालों में वैज्ञानिक इस बात पर बहस कर रहे थे कि आवाजों को सीखने की बाइनरी प्रक्रिया यानी नर्वस सिस्टम की वायरिंग और जीन्स बेहद सरल और सहज हैं. असल में वैज्ञानिकों को आवाजों के स्पेक्ट्रम पर ध्यान देना चाहिए. उन्हें यह अध्ययन करना चाहिए कि किस तरह की आवाज सीखने के लिए कौन सा जीन्स महत्वपूर्ण होता है. इससे हम यह पता कर पाएंगे कि पक्षियों की अलग-अलग आवाजों का क्या मतलब होता है.  (फोटोः गेटी)

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डायेन ने बताया कि बहुत कम पक्षी ऐसे होते हैं, जो आवाजों की नकल करना नहीं सीख पाते या गा नहीं पाते. ज्यादातर पक्षी गाना गाना सीख लेते हैं. हमें पक्षियों की आवाज गाने जैसी लगती है, संगीत जैसी लगती है, लेकिन असल में वो उनका तरीका होता है आपस में संचार करने का, बातचीत करने का या फिर संदेश देने का. जैसे इंसान आपस में बातचीत करते हैं. इंसान जब गाते हैं, उस समय भी वो एक तरह से बातचीत करके संदेश ही दे रहे होते हैं. इसलिए ही लोग गाने का अर्थ समझकर उसका आनंद लेते हैं. या उसके संगीत से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.  (फोटोः गेटी)

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डायेन ने कहा कि अगर कोई पक्षी गाना नहीं गा पाता या कम आवाजें निकालता है तो भी वह सीखकर उसे सही कर सकता है. बात सिर्फ इतनी सी है कि वो कितना सीखना चाहते हैं. या फिर उन्हें सिखाया भी जा सकता है. क्योंकि अगर उनके आसपास गाने वाले पक्षी हो तो इसका बहुत असर पड़ता है. कैसे हम इंसान गाना सुनकर गुनगुनाने लगते हैं. लेकिन पक्षियों में यह खास प्रतिभा होती है कि वो अंडे के अंदर से ही गीत गाना सीखने लगते हैं.  (फोटोः गेटी)

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डायेन की स्टडी में यह बात स्पष्ट बताई गई है कि पक्षियों के दिमाग में वोकल टेंपलेट होता है जो अंडे से बाहर आने से पहले ही सक्रिय हो जाता है. इसी की बदौलत पक्षी गीत गाना सीखते हैं. डायेन और उनकी टीम ने 2012 से 2019 तक पक्षियों की आवाजों और उसकी उत्पत्ति पर अध्ययन करने के बाद यह स्टडी को नतीजे तक पहुंचाया है. इस स्टडी में पांच प्रकार की पक्षियों के अंडों का अध्ययन किया गया है.  (फोटोः गेटी)

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ये पांच पक्षी हैं- फेयरी रेन (fairy-wren), रेड विंग्ड फेयरी रेन (red-winged fairy-wren), डार्विन्स स्माल ग्राउंड फिंच (Darwin's small ground finch), द लिटिल पेंग्विन (the little penguin) और द जैपैनीज क्वेल (the Japanese quail). इन पक्षियों में रेन और डार्विन्स फिंच आवाजों को सीखने में माहिर होते हैं. जबकि क्वेल और पेंग्विन सीखने के मामले में कमजोर होते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों ने इनके अंडों को 60 सेकेंड की आवाज हर 60 सेकेंड के अंतर पर हर दिन सुनाई. सीखने वाले पक्षियों के अंडों में प्रतिक्रिया देखी गई, जबकि नहीं सीखने वाले पक्षियों में कुछ भी नहीं.  (फोटोः गेटी)

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रेन और फिंच पक्षियों के अंडों के अंदर मौजूद भ्रूण जब ये आवाजें सुनते थे तो उनके दिल की धड़कन तेज हो जाती थी, जबकि क्वेल और पेंग्विन पर इसका असर कम होता था. न के बराबर. लेकिन धड़कन उनकी भी थोड़ी बहुत बढ़ती थी. जब रेन और फिंच के बच्चे अंडे से बाहर आए तो वैसी आवाजें निकालन लगभग सीख चुके थे. जबकि दूसरे पक्षी ऐसा करने में नाकाम रहे. उन्हें वह सीखने में थोड़ा ज्यादा समय लगा. (फोटोः गेटी)

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यह बताता है कि जन्मजात गायकी सीखने वाले पक्षियों के दिमाग का वोकल टेंपलेट ज्यादा सक्रिय होता है, जबकि दूसरे पक्षियों का अंडे के बाहर आने के बाद सक्रिय होता है. यह स्टडी हाल ही में द रॉयल सोसाइटी बी में प्रकाशित हुई है. जिसमें कहा गया है कि भविष्य में वैज्ञानिक यह भी पता कर लेंगे कि किस तरह की आवाजों को दिमाग और जीन्स का कौन सा हिस्सा निकालता है.  (फोटोः गेटी)

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