पहले जानते हैं भारतीय नौसेना के नए युद्धपोत आईएनएस मोरमुगाओ (INS Mormugao) के बारे में. यह स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर है. इसे बनाने की शुरुआत 04 जून 2015 में हुई थी. 24 नवंबर 2022 में इसे भारतीय नौसेना को सौंपा गया. 7400 टन वजनी इस जंगी जहाज की लंबाई 535 फीट है. इसी युद्धपोत से ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया गया है.
इस जंगी जहाज को ट्विवन जोर्या M36E गैस टर्बाइन प्लांट, बर्जेन केवीएम डीजल इंजन ताकत देते हैं. अधिकतम गति 56 KM प्रतिघंटा है. अगर यह 26 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से चलता है तो इसकी रेंज 7400 KM है. इस जंगी जहाज पर 300 नौसैनिक रह सकते हैं. जिसमें से 50 ऑफिसर और 250 सेलर्स शामिल हैं.
इस जहाज में डीआरडीओ द्वारा बनाया गया इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर शक्ति ईडब्ल्यू सुइट और कवच चैफ सिस्टम लगा है. यानी दुश्मन की मिसाइल या रॉकेट से चैफ सिस्टम बचाएंगे. इस विध्वंसक में 32 एंटी-एयर बराक-8 मिसाइलें तैनात हैं. इनकी रेंज 100 KM है. इसके अलावा 16 एंटीशिप BrahMos मिसाइलें तैनात हैं. अगर मुंबई में इस युद्धपोत से मिसाइल दागी जाती है तो ब्रह्मोस 12 मिनट में कराची पहुंच जाएगी.
दोनों ही मिसाइलें वर्टिकल लॉन्च सिस्टम छोड़ी जाएंगी. इसके अलावा मोरमुगाओ पर एक 76 mm की OTO मेराला तोप, 4 AK-603 CIWS गन लगी है. जो दुश्मन के जहाज, मिसाइल या विमान को छलनी कर सकती हैं. इसमें 533 mm की 4 टॉरपीडो ट्यूब्स हैं, इसके अलावा 2 RBU-6000 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर लगे हैं.
मोरमुगाओ पर दो वेस्टलैंड सी किंग या HAL ध्रुव हेलिकॉप्टर ले जाए जा सकते हैं. इस युद्धपोत में स्टेट ऑफ द आर्ट सेंसर लगे हैं, जो दुश्मन के हथियारों का आसानी से पता कर सकते हैं. ये सेंसर्स ऐसे डेक में लगाए गए हैं, जिन्हें दुश्मन देख नहीं सकता. इसमें बैटल डैमेज कंट्रोल सिस्टम्स लगाए गए हैं. यानी युद्ध के दौरान अगर जहाज के किसी हिस्से में नुकसान हो तो पूरा युद्धपोत काम करने बंद न करे.
इस युद्धपोत से हाल ही में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया गया. नौसेना के पास ब्रह्मोस के दो वैरिएंट्स हैं. पहला- शिप लॉन्च्ड एंटी शिप वैरिएंट और दूसरा- शिप लॉन्च्ड लैंड अटैक वैरिएंट. यानी जंगी जहाज से दूसरे जंगी जहाज पर हमला या फिर जमीन पर मौजूद किसी बेस को उड़ाने के लिए हमला किया जा सकता है.
यह मिसाइल भारतीय नौसेना के विशाखापट्ट्न क्लास डेस्ट्रॉयर, कोलकाता क्लास डेस्ट्रॉयर, दिल्ली क्लास डेस्ट्रॉयर, राजपूत क्लास डेस्ट्रॉयर, नीलगिरी क्लास फ्रिगेट, शिवालिक क्लास फ्रिगेट और तलवार क्लास फ्रिगेट में लगाई गई हैं. ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही रास्ता बदलने में सक्षम है. चलते-फिरते टारगेट को भी बर्बाद कर देता है.
ब्रह्मोस मिसाइल सतह से 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है. यानी दुश्मन के राडार इसे देख ही नहीं पाएगा. यह किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा दे सकती है. इसको मार गिराना लगभग अंसभव है. ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका के टोमाहॉक मिसाइल से दोगुना तेज उड़ती है.
युद्धपोत से लॉन्च की जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 200KG वॉरहेड ले जा सकती है. यह मिसाइल 4321 KM प्रतिघंटा की रफ्तार. इसमें दो स्टेज का प्रोप्लशन सिस्टम लगा है. पहला सॉलिड और दूसरा लिक्विड. दूसरा स्टेज रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) है. जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है. ईंधन की खपत कम करता है.