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उत्तरी रूस के साइबेरिया में लगातार धमाकों के साथ हो रहे बड़े गड्ढे... जमीन के नीचे मिला राज

आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 2:59 PM IST
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रूस में यमाल-नेनेट्स ऑटोनॉमस इलाके में साइबेरिया है. वहीं पर कुछ सालों से लगातार धमाके हो रहे हैं. आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है. जब इन धमाकों की वजह पता की गई तो वहां बड़े-बड़े गड्ढे निकले. (फोटोः गेटी)
 

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वैज्ञानिकों ने इन गड्ढों के बनने की वजह पता करी. क्योंकि ये इलाका पर्माफ्रॉस्ट है. यानी यहां जमीन, मिट्टी, पत्थर, बर्फ, पानी सब करोड़ों सालों से माइनस तापमान में लगातार जमे हुए हैं. फिर ऐसी जगह पर धमाके कहां से हो रहे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)

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असल में जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान का असर आर्कटिक सर्किल पर भी पड़ रहा है. साइबेरिया में पर्माफ्रॉस्ट का तापमान बढ़ रहा है. तो जमीन के नीचे पाने ने अब बहना शुरू कर दिया है. जिससे पर्माफ्रॉस्ट के नीचे दरारें बनती हैं. (फोटोः रॉयटर्स)

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इन दरारों की वजह से बड़ी-बड़ी सुरंगें बन जाती हैं. जब इन सुरंगों के बनने से मीथेन निकलता है, तब उसे बाहर आने के लिए जगह चाहिए होती है. जगह नहीं मिलने पर प्रेशर क्रिएट होता है, तब अचानक विस्फोट के साथ गड्ढा बनता है. यहीं से मीथेन गैस बाहर निकलती है. (फोटोः रॉयटर्स)

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वैज्ञानिकों ने ऐसी ही एक गड्ढे की स्टडी की. यह गड्ढा 160 फीट गहरा और 230 फीट चौड़ा था. पहली बार ऐसा गड्ढा 2014 में बना था. इस गड्ढे की स्टडी के लिए वैज्ञानिक इसके अंदर तक उतरे. पता चला कि सुरंग से मीथेन गैस निकल रही है. साथ ही अंदर भारी मात्रा में बर्फ और पत्थर है. (फोटोः रॉयटर्स)

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कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की केमिकल इंजीनियर और इस स्टडी में शामिल एना मरोगादो ने कहा कि बढ़ते तापमान की वजह से पर्माफ्रॉस्ट पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है. पर्माफ्रॉस्ट के नीचे का वातावरण बिगड़ रहा है. अंदर से मीथेन को निकलने की जगह चाहिए. जब जगह नहीं मिलेगी तो इस तरह के विस्फोट होंगे. (फोटोः रॉयटर्स)

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एना ने कहा कि साइबेरिया में ही ऐसे गड्ढे देखे गए हैं. इसकी भी जांच चल रही है. हम लगातार पानी-मीथेन से बने क्रिस्टल्स की जांच कर रहे हैं. इसे मीथेन हाइड्रेट्स कहते हैं. (फोटोः रॉयटर्स)

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