Advertisement

साइंस न्यूज़

Chandrayaan-3 ने दिया सबूत... जितना सोचा था, उससे कहीं ज्यादा रहने लायक है चांद

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:50 PM IST
  • 1/9

Chandrayaan-3 से मिले डेटा से इस बात की पुष्टि हो रही है कि चंद्रमा रहने योग्य है. वह भी जितना सोचा गया था, उससे कहीं ज्यादा. चांद पर स्थाई इंसानी बस्ती बसाई जा सकती है. 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर उतरा. तब से लैंडर और रोवर दोनों ISRO को पर्याप्त डेटा भेज चुके हैं. (सभी प्रतीकात्मक फोटोः गेटी/एपी/एएफपी/नासा)

  • 2/9

अगर सारे डेटा को अलग-थलग करके देखेंगे तो मामला समझने में मुश्किल होगी. फिर लोग कहने लगते हैं कि ये तो रॉकेट साइंस है. जबकि अगर सारे डेटा को एकसाथ जोड़कर देखा जाए तो आपको पता चल जाएगा कि जितना सोचा गया था, चांद उससे कहीं ज्यादा रहने लायक है. 

  • 3/9

इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि जब लैंडर ने चांद की सतह के ऊपर और नीचे के तापमान का पता चला. ऊपर 50 से 70 डिग्री सेल्सियस तापमान था, जबकि सतह से 8 सेंटीमीटर नीचे तापमान माइनस में था. सिर्फ तीन-चार इंच में ही इतना अंतर है. लेकिन इन दोनों तापमानों की बदौलत रहने लायक माहौल बनाया जा सकता है. 

Advertisement
  • 4/9

विक्रम लैंडर (Vikram Lander) ने सतह की जो जांच की उससे यह पता चलता है कि सतह के नीचे सर्दी ज्यादा है. लेकिन इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि चांद की सतह सुपर इंसुलेटर है. कैसे- बताते हैं. असल में चांद की सतह का सबसे ऊपरी हिस्सा तीव्र इंसुलेशन के लिए जाना जाता है. यहां पर तापमान रात में माइनस 140 से दिन में 113 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. लेकिन जैसे-जैसे 30 सेंटीमीटर या उससे नीचे जाएंगे, तापमान स्थिर हो जाएगा. 

  • 5/9

चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है. सूरज की रोशनी से सीधा संपर्क है. इसके कुछ हिस्से दिन में 123 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाते हैं. जबकि सर्दियों में माइनस 233 डिग्री तक चला जाता है. यानी यहां पर इंसुलेशन की प्रक्रिया तेजी से होगी. धरती से इंसुलेशन वाली चीजें ले जाने की जरुरत नहीं है. विक्रम ने अभी पता किया है कि वहां पर कई ऐसे खनिज और धातु हैं जो ये काम पूरा कर देंगे. 

  • 6/9

अगर इंसानों के रहने योग्य बस्ती बनानी है तो उसके अंदर का तापमान इन इंसुलेटर्स पदार्थों के जरिए संतुलित किया जा सकता है. यानी चांद पर बाहर बदलने वाले तापमान का असर बस्ती के अंदर रहने वाले इंसानों पर नहीं पड़ेगा. फिर वहां बनने वाले घरों के बाहर का मटेरियल ऐसा होगा जो सूरज की रोशनी को रिफ्लेक्ट कर दे. 

Advertisement
  • 7/9

विक्रम लैंडर ने बताया है कि चांद की ऊपरी सतह की तुलना में नीचे की सतह पर तापमान में बड़ा अंतर हो सकता है. लेकिन सही तकनीक की बदौलत इस बदलाव का फायदा उठाया जा सकता है. साथ ही थर्मल प्रोसेस की मदद से चांद की सतह से ही कंस्ट्रक्शन मटेरियल बनाने का इस्तेमाल किया जा सकता है. 

  • 8/9

प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) के LIBS पेलोड ने भी बताया कि चांद की सतह पर ऑक्सीजन मौजूद है. इसके अलावा सल्फर, कैल्सियम, लोहा, टाइटैनियम, मैन्गनीज और एल्यूमिनयम भी है. चांद की सतह पर ऑक्सीजन इल्मेनाइट (FeTiO3) के रूप में मौजूद है. यानी आप चांद की सतह पर बर्फ भी बना सकते हैं. लेकिन चांद पर हर जगह बर्फ मौजूद नहीं है. 

  • 9/9

इल्मेनाइट को रेड्यूस करके सांस लेने लायक ऑक्सीजन निकाला जा सकता है. लैंडर और रोवर से मिले डेटा से इस बात की पुष्टि होती है कि चंद्रमा पर एक दिन इंसानी बस्ती बसाई जा सकती है. यह रिपोर्ट अंग्रेजी अखबर हिंदू बिजनेस लाइन में प्रकाशित हुआ है.  

Advertisement
Advertisement
Advertisement