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साइंस न्यूज़

Chandrayaan-3 Lander Power: चांद पर लैंडिंग से पहले हर पैरामीटर जांचेगा Vikram लैंडर... खतरे से बचने के लिए लगा ये सिस्टम

ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 12:09 PM IST
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Vikram Lander 17 अगस्त 2023 की दोपहर करीब 1 से डेढ़ बजे के बीच प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया. अब दोनों 153 km x 163 km की लगभग गोलाकार ऑर्बिट में आगे-पीछे चल रहे हैं. विक्रम आगे चल रहा है. क्योंकि उसे आगे चलते हुए आज डीबूस्टिंग और डीऑर्बिटिंग करनी है. (सभी फोटोः ISRO)

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डीबूस्टिंग और डीऑर्बिटिंग का मतलब गति कम करना. ऑर्बिट की ऊंचाई कम करना. लेकिन विक्रम लैंडर है क्या? विक्रम लैंडर एक ऐसा अंतरिक्षयान है, जो चांद के चारों तरफ चक्कर लगाकर उसकी सतह पर उतरेगा. इसमें कई ऐसे यंत्र लगे हैं, जो चांद पर प्लाज्मा, सतह की गर्मी, भूकंप और चांद की डायनेमिक्स की स्टडी करेंगे. 

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लैंडर के पेट में ही प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) रखा है. जो लैंडिंग के करीब 15 से 30 मिनट बाद दरवाजा खुलने पर बाहर आएगा. खैर प्रज्ञान के बारे में बाद में बात करेंगे. पहले जानते हैं विक्रम लैंडर के आकार के बारे में. इसका आकार 6.56 फीट x 6.56 फीट x 3.82 फीट है. इसके चार पैर हैं. इसका वजन 1749.86 किलोग्राम है. 

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पिछली बार की तुलना में इस बार लैंडर को ज्यादा मजबूत, ज्यादा सेंसर्स के साथ बनाया गया है. ताकि चंद्रयान-2 जैसा हादसा न हो. इस बार विक्रम लैंडर में कुछ खास तकनीक लगाई गई है. जैसे- लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर, लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर और लैंडर हॉरिजोंटल वेलोसिटी कैमरा, लेजर गाइरो बेस्ड इनर्शियल रिफरेंसिंग एंड एक्सीलेरोमीटर पैकेज. 

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इसके अलावा 800 न्यूटन थ्रॉटेबल लिक्विड इंजन लगे हैं. 58 न्यूटन ताकत वाले अल्टीट्यूड थ्रस्टर्स एंड थ्रॉटेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स. इसके अलावा नेविगेशन, गाइडेंस एंड कंट्रोल से संबंधित आधुनिक सॉफ्टवेयर, हजार्ड डिटेक्टशन एंड अवॉयडेंस कैमरा और लैंडिंग लेग मैकेनिज्म. ये वो तकनीकें हैं जो लैंडर को सुरक्षित चांद की सतह पर उतारेंगी. 

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विक्रम लैंडर के इंटीग्रेटेड सेंसर्स और नेविगेशन परफॉर्मेंस की जांच करने के लिए उसे हेलिकॉप्टर से उड़ाया गया था. जिसे इंटीग्रेटेड कोल्ड टेस्ट कहते हैं. फिर इंटीग्रेटेड हॉट टेस्ट हुआ. यह एक लूप परफॉर्मेंस टेस्ट है. जिसमें सेंसर्स और एनजीसी को टावर क्रेन से गिराकर देखा गया था. 

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विक्रम लैंडर के लेग मैकेनिज्म परफॉर्मेंस की जांच के लिए लूनर सिमुलेंट टेस्ट बेट पर कई बार इसे गिराया गया. चांद की सतह पर लैंडिंग के बाद लैंडर 14 दिनों तक काम करेगा. स्थितियां सही रहीं तो हो सकता है कि ज्यादा दिनों तक काम कर जाए. 

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विक्रम लैंडर में चार पेलोड्स लगे हैं. पहला रंभा (RAMBHA). यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. दूसरा चास्टे (ChaSTE). यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. तीसरा है इल्सा (ILSA). यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. चौथा है लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA). यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा. 

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Vikram Lander चांद की सतह पर प्रज्ञान रोवर से संदेश लेगा. इसे बेंगलुरु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) में भेजेगा. जरुरत पड़ने पर इस काम के लिए प्रोपल्शन मॉड्यूल और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जा सकती है. जहां तक बात रही प्रज्ञान रोवर की तो वो सिर्फ विक्रम से बात कर सकता है. 

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विक्रम लैंडर जिस समय चांद की सतह पर उतरेगा, उस समय उसकी गति 2 मीटर प्रति सेकेंड के आसपास होगी. लेकिन हॉरीजोंटल गति 0.5 मीटर प्रति सेकेंड होगी. विक्रम लैंडर 12 डिग्री झुकाव वाली ढलान पर उतर सकता है. 

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