रूस में फिर परमाणु हादसा हो सकता है. क्योंकि चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के बेसमेंट में रखा परमाणु ईंधन लगातार सुलग रहा है. यह किसी भी दिन विस्फोट कर सकता है. इस भयावह परमाणु संयंत्र में परमाणु ईंधन फिर से रिएक्ट कर रहे हैं. इसे रोकने का कोई तरीका एक्सपर्ट्स को समझ में नहीं आ रहा है. रूस के यूक्रेन में स्थित चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट के बेसमेंट में इस परमाणु बम की घड़ी टिकटिक कर रही है. क्योंकि इसके बेसमेंट में पहुंच पाना मुश्किल है. (फोटोःगेटी)
रूस और यूक्रेन की मीडिया में आई खबरों के अनुसार चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के बेसमेंट में मौजूद कमरा संख्या 305/2 में पहुंच पाना मुश्किल है. यहां पर टनों परमाणु ईंधन रखा है. कुछ शोधकर्ताओं ने हिम्मत जुटाकर इसके बाहर तक पहुंचे. वहां पर उन्हें न्यूट्रॉन्स की मात्रा में बढ़ोतरी देखने को मिली. यानी 1986 में इतिहास का भयानक परमाणु हादसा करने वाले इस संयंत्र में फिर से परमाणु ईंधन में रिएक्शन हो रहा है. (फोटोःगेटी)
305/2 नंबर कमरे में भारी मात्रा में पत्थर पड़े हैं. जिसके अंदर रेडियोएक्टिव यूरेनियम, जिर्कोनियम, ग्रेफाइट और रेत भरी पड़ी है. यहां पर रिएक्शन ने रौद्र रूप लिया तो ये ज्वालामुखी के लावे की तरह फट पड़ेगा. एक्सपर्ट्स के अनुसार इस कमरे में रखे परमाणु पदार्थ लावा की तरह फटने के बाद फ्यूल कंटेनिंग मटेरियल (FCM) में बदलेंगे. (फोटोःगेटी)
किसी जगह पर न्यूट्रॉन्स की मात्रा बढ़ती है तो ये माना जाता है कि FCM में फिशन रिएक्शन (Fission Reaction) हो रहा है. यानी न्यूट्रॉन्स की मात्रा बढ़ती है यानी यूरेनियम का केंद्रक टूट रहा है. इससे भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न हो रही है. यूके स्थित शेफील्ड यूनिवर्सिटी के परमाणु एक्सपर्ट नील हयात ने कहा कि इस समय चेर्नोबिल के कमरा नंबर 305/2 में जो स्थिति है वो ठीक वैसी ही है जैसे कोई भट्टी धीरे-धीरे गर्म हो रही हो. (फोटोःगेटी)
नील हयात ने कहा कि अगर बहुत ज्यादा दिनों तक कमरा नंबर 305/2 को अनदेखा किया गया तो यहां पर किसी भी समय 1986 की तरह विस्फोट हो सकता है. यह फिर भयावह स्तर का रेडिएशन छोड़ेगा. इससे आसपास के इलाकों के लोगों की जिंदगी खतरे में आ जाएगी. क्योंकि 1986 में हुए विस्फोट से हजारों लोगों की मौत हुई थी. पूरे यूरोप के ऊपर रेडियोएक्टिव बादल छा गए थे. (फोटोःगेटी)
यूक्रेन की राजधानी कीव में स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सेफ्टी प्रॉब्लम्स ऑफ न्यूक्लियर पॉवर प्लांट्स के सीनियर रिसर्चर मैक्सिम सेवलीव ने कहा कि अगर परमाणु ईंधन फिर से सुलगता है तो यह संयंत्र के अंदर बने यूनिट 4 रिएक्टर की पूरी इमारत को ध्वस्त कर देगा. क्योंकि ईंधन से निकली ऊर्जा इसे मजबूती से बंद रखने वाले स्टील और कॉन्क्रीट की दीवार को पिघला देगी. (फोटोःगेटी)
मैक्सिम ने बताया कि अगर चेर्नोबिल संयंत्र में नियंत्रित विस्फोट भी किया जाए तो भी वहां का परमाणु कचरा साफ करने में और उससे बचने में सालों लग जाएंगे. परमाणु ईंधन को बंद करने वाले कमरे का ढांचा बहुत पुराना है. ये आसानी से टूट सकता है. यहां विस्फोट होते ही चारों तरफ भयानक रेडियोएक्टिव खतरा फैल जाएगा. साथ ही हजारों टन मलबा निकलेगा. (फोटोःगेटी)
मैक्सिम सेवलीन ने बताया कि चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र का कमरा नंबर 305/2 में पिछले चार साल से लगातार न्यूट्रॉन्स के निकलने की मात्रा बढ़ती जा रही है. अगर घटना नहीं होती है तो भी ये न्यूट्रॉन्स अगले कई सालों तक ऐसे ही निकलते रहेंगे...लेकिन ऐसा होगा नहीं. एक स्तर पर आने के बाद इस कमरे में पड़ा परमाणु ईंधन विस्फोट के साथ फट जाएगा. अगर साइंटिस्ट्स प्रयास करें तो इस हादसे को रोका जा सकता है. (फोटोःगेटी)
मैक्सिम ने बताया कि सबसे बड़ी दिक्कत है कि कमरा नंबर 305/2 में रखे परमाणु ईंधन को संभालना और उसे निष्क्रिय करना मुश्किल है क्योंकि यहां पर इस समय जो रेडिएशन है वो इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है. लेकिन रेडिएशन में काम करने वाले रोबोट्स ये काम कर सकते हैं. वो कमरे में ड्रिल करके न्यूट्रॉन्स को सोखने वाले पदार्थों को वहां पर रख सकते हैं. (फोटोःगेटी)
यूक्रेन लगातार इस बात का प्रयास कर रहा है कि किसी तरह से चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में मौजूद में इस परमाणु कचरे को साफ किया जाए. इसके लिए यूक्रेन की सरकार FCM को नियंत्रित करने के लिए सिंतबर में किसी साइंटिफिक एक्सपेरीमेंट का प्लान बना रही है. (फोटोःगेटी)