धरती पर अक्सर उल्कापिंड (Meteorite) गिरते रहते हैं. पहले भी गिरे हैं. इनकी वजह से धरती पर कई स्थानों पर गड्ढे भी बने हैं. धरती पर उल्कापिंड की टक्कर से पिछले एक लाख साल में बना सबसे बड़ा गड्ढा चीन में मिला है. हाल ही में हुई एक नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है. उल्कापिंड की टक्कर से धरती पर बना सबसे बड़ा गड्ढा उत्तर-पूर्व चीन के हीलॉन्गजियांग प्रांत में मिला है. ऐसे गड्ढों को मीटियोराइट इम्पैक्ट क्रेटर (Meteorite Impact Crater) कहते हैं. (फोटोः मीटियोराइट एंड प्लैनेटरी साइंस)
चीन में मिले इसे गड्ढे का नाम है द यीलान क्रेटर (The Yilan Crater). इस गड्ढे का व्यास 1.85 किलोमीटर है. यानी एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए आपके इतनी दूरी तय करनी पड़ेगी. यह 300 मीटर गहरा है. पिछले 1 लाख साल में धरती पर बने इम्पैक्ट क्रेटर्स में से यह सबसे बड़ा गड्ढा है. हाल ही में इसके बारे में मीटियोराइट्स एंड प्लैनेटरी साइंस जर्नल में स्टडी प्रकाशित हुई है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)
द यीलान क्रेटर (The Yilan Crater) का दक्षिणी हिस्सा गायब हो गया है पर बाकी हिस्से सुरक्षित हैं. इस गड्ढे में मौजूद सतह की अधिकतम ऊंचाई 150 मीटर है. वैज्ञानिकों को पहले से अंदाजा था कि जिंग पहाड़ों के जंगलों के बीच अर्ध-चंद्राकार आकार में बने इस गड्ढे को किसी उल्कापिंड की टक्कर ने ही बनाया होगा. लेकिन उसकी स्टडी नहीं हो पा रही थी. क्योंकि यह इलाका घने जंगलों से अटा पड़ा है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)
वैज्ञानिकों ने किसी तरह व्यवस्थाएं करके इस जंगल गड्ढे के बीच जंगल में पहुंचे. उन्होंने सतह पर ड्रिलिंग की और मिट्टी की जांच की. तब भूगर्भीय सबूतों के आधार पर उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि यह गड्ढा उल्कापिंड के टकराने की वजह से करीब 1 लाख साल पहले बना था. गड्ढे की सतह के नीचे 110 मीटर मोटा सेडिमेंट यानी मिट्टी की परत हैं. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)
इसके नीचे एक झील है जो धीरे-धीरे दलदल में बदल गई. इस झील के नीचे 319 मीटर तक ग्रेनाइट पत्थरों की मोटी परत है. वैज्ञानिकों का मानना है कि उल्कापिंड की टक्कर की वजह से ग्रेनाइट की मोटी परत टूट गई है. यह कई हिस्सों में बंट गई है. कई स्थानों पर तो पत्थर पिघले हुए भी मिले हैं. यानी टक्कर के बाद का तापमान 1200 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा होगा. क्योंकि ग्रेनाइट कई जगहों पर क्रिस्टल के रूप में बदल चुका है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)
वैज्ञानिकों के यीलान क्रेटर (Yilan Crater) की सतह के नीचे क्वार्ट्ज क्रिस्टल, अलग-अलग तरह की दरारें, पत्थरों की चादरें आदि मिली है. दरारें तब बनी होंगी जब उल्कापिंड इस जगह से टकराया होगा. क्योंकि ये दरारें समानांतर बनी हुई दिख रही हैं. इस क्रेटर का नाम इसके पड़ोसी शहर यीलान के ऊपर रखा गया है. ऐसा माना जाता है कि यह शहर कई सदियों पुराना है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)
द यीलान क्रेटर (The Yilan Crater) की रेडियोकार्बन डेटिंग से उम्र पता की गई तो यह करीब 47 से 53 हजार साल निकली. लेकिन जब इसकी सतह के नीचे मौजूद पत्थरों और परतों की जांच की गई तो पता चला कि यह करीब 1 लाख साल पुरानी है. क्योंकि नीचे ग्रेनाइट की मोटी परत तो है लेकिन वह कई स्तरों और परतों में बंट गई है. टूट गई है. ऐसा माना जा रहा है कि यहां पर 100 मीटर चौड़ा उल्कापिंड टकराया होगा. इसे उस समय साइबेरिया और एशिया में रहने वाले इंसानों के पूर्वजों ने देखा रहा होगा. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)
अब तक धरती पर 190 मीटियोराइट इम्पैक्ट क्रेटर (Meteorite Impact Crater) खोजे गए हैं. सबसे पुराना गड्ढा 200 करोड़ साल पुराना है. हो सकता है कि इससे पहले के गड्ढे भी रहे हो लेकिन वो समय के साथ धीरे-धीरे खत्म हो चुके हैं. धरती के इकलौते उपग्रह चांद पर भी 30 हजार से ज्यादा इम्पैक्ट क्रेटर हैं. माना जाता है कि धरती पर आज भी कई युवा इम्पैक्ट क्रेटर बर्फ और मिट्टी के नीचे दबे होंगे या फिर समुद्र में होंगे, जिनके बारे में इंसानों को पता नहीं है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)
यीलान क्रेटर के बाद दूसरा सबसे बड़ा गड्ढा एरिजोना में है. यह 1.2 किलोमीटर व्यास का है. उत्तर-पश्चिम साइबेरिया में स्थित पोपीगाई क्रेटर 100 किलोमीटर चौड़ा है. वर्जिनिया में स्थित चेसापीक बे क्रेटर 85 किलोमीटर चौड़ा है. यह करीब 3.50 करोड़ साल पुराना है. जर्मनी में स्थित रीस इम्पैक्ट क्रेटर 24 किलोमीटर चौड़ा है, यह करीब 1.40 करोड़ साल पुराना है. साल 2018 में ग्रीनलैंड के हिवाथा ग्लेशियर के नीचे दो 30 किलोमीटर चौड़े इम्पैक्ट क्रेटर्स का पता चला था. बर्फ की जांच से पता चला कि ये 1 लाख साल से ज्यादा पुराना है लेकिन कैसे बना और कितना गहरा है ये पता नहीं चल पाया. चीन के लियाओनिंग प्रांत में बना जियुआन क्रेटर भी 1.8 किलोमीटर व्यास का है लेकिन इसकी उम्र पता नहीं चल पाई है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)