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Crystal Healing की तकनीक कितनी कारगर, जानिए वैज्ञानिक कारण

aajtak.in
  • लंदन,
  • 27 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:43 AM IST
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क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) एक वैकल्पिक इलाज की पद्धति है. जिसमें अलग-अलग रंगों के पारदर्शी पत्थरों या रत्नों से इलाज किया जाता है. या फिर बीमारियों से बचाया जाता है. इसे करने वाले या करवाने वाले ये मानते हैं कि इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. हीलिंग एनर्जी शरीर में बहती है और बीमारियों को पैदा करने वाली निगेटिव एनर्जी को बाहर निकाल देती हैं. लेकिन कुछ लोग इसे स्यूडोसाइंस (Pseudoscience) कहते हैं. यानी नकली विज्ञान. आइए समझते हैं इसके पीछे के विज्ञान और दलीलों को...(फोटोः गेटी)

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वैज्ञानिक आधार पर क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) से किसी भी बीमारी का इलाज नहीं किया जा सकता. क्योंकि किसी भी बीमारी में शरीर में किसी तरह का निगेटिव बहाव नहीं होता है. किसी तरह की ऊर्जा का बहाव नहीं होता. साइंटिफिक स्टडीज में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि क्रिस्टल या रत्नों के रसायनिक मिश्रण या रंग किसी भी तरह की बीमारी को दूर नहीं कर सकते. (फोटोः गेटी)

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पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में मिनरल साइंस के प्रोफेसर पीटर हीनी ने कहा कि नेशनल साइंस फाउंडेशन में एक भी ऐसी स्टडी नहीं है जो यह कहती हो कि क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) से कोई फायदा होता है. पीटर कहते हैं कि अलबर्ट आइंस्टीन के मास-एनर्जी इक्वीवैलेंस के अनुसार क्रिस्टल और इंसानी शरीर के बीच किसी तरह की ऊर्जा का स्थानांतरण नहीं होता है. (फोटोः गेटी)

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इसके बावजूद हेल्थ स्पा और नए जमाने के हेल्थ क्लीनिक्स में क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) काफी ज्यादा पॉपुलर है. इसे मसाज और रेकी जैसी तकनीकों के साथ शामिल कर दिया गया है. ऐसे वातावरण में क्रिस्टल का उपयोग एक तरह का रिलैक्स देता है. हालांकि, इसके पीछे भी किसी तरह का वैज्ञानिक कारण या रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है. (फोटोः गेटी)

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क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) के समर्थक यह कहते हैं कि क्रिस्टल्स या रत्नों में हीलिंग की ताकत होती है. यह एक प्राचीन तरीका है. यह करीब 6000 साल पहले मेसोपोटामिया के समय से उपयोग में लाई जा रही है. प्राचीन मिस्र से संबंधित कई ऐसे स्थान मिले हैं, जहां के अवशेष यह बताते हैं कि उस समय के लोग इन्हें पहनते थे. जैसे- लैपिस लजुली, कारनेलियन और टर्क्वायस. ताकि बीमारियां और निगेटिव एनर्जी दूर रहे. चीन में इन्हे लेकर ची और क्वी तरीका है. हिंदुओं और बौद्धों में चक्र (Chakras) का सिद्धांत है. जो शरीर को परालौकिक शक्तियों से जोड़कर दुरुस्त रखते हैं. (फोटोः गेटी)

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ऐसा कहा जाता है कि क्रिस्टल शरीर के आसपास मौजूद ऊर्जा के क्षेत्र से संबंध बनाते हैं. शारीरिक, भावनात्मक और दैवीय शक्तियां मिलती हैं. ऐसा Time की साइट में लिखा है. जैसे- जमुनिया (Amethyst) को आंत के लिए अच्छा माना जाता है. ग्रीन एवेन्टुरीन (Green Aventurine) दिल के इलाज में मदद करता है. पीला टोपाज (Yellow Topaz) मानसिक शांति देता है. लाल और बैंगनी रंग शरीर के सात चक्रों से जुड़े हैं. (फोटोः गेटी)

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यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में एनोमैलिस्टिक साइकोलॉजी रिसर्च यूनिट के प्रमुख क्रिस्टोफर फ्रेंच का कहना है कि इतने दावों के बावजूद क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) को लेकर कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है. बस ये माना जाता है कि इस तरह का इलाज कराने वालों को एक प्लेसिबो इफेक्ट (Placebo Effect) होता है कि वो ठीक हो रहे हैं. यानी सीधे तौर पर इलाज नहीं हो रहा है. क्योंकि यह तरीका किसी भी बीमारी के साथ सीधे तौर पर कनेक्ट करता ही नहीं है. (फोटोः गेटी)

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क्रिस्टोफर फ्रेंच ने कहा कि किसी भी इलाज के तरीके को जांचने के लिए कोई स्टैंडर्ड तय होना चाहिए. चाहे वह मुख्य चिकित्सा का हिस्सा हो या फिर वैकल्पिक इलाज का तरीका हो. अगर किसी को प्लेसिबो इफेक्ट के साथ ही रहना है या इलाज कराना है तो वह उस मरीज या इंसान के व्यवहार पर निर्भर करता है न कि क्रिस्टल्स, रत्न या किसी पत्थर पर. यानी आप क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) के समय अच्छा महसूस कर सकते हैं लेकिन उससे कोई वैज्ञानिक फायदा आपको नहीं हो रहा होता है. इसका एक सफल प्रयोग 2001 में हो चुका है, जिसकी रिपोर्ट ब्रिटिश साइकोलॉजी सोसाइटी सेंटेनेरी एनुअल कॉन्फ्रेंस में पेश की गई थी. (फोटोः गेटी)

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क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) कराने वाले लोग एक सर्टिफिकेट कोर्स करके हीलर बनते हैं. ये सर्टिफिकेट या तो इंटरनेट से मिलता है या फिर प्राकृतिक चिकित्सा विश्विद्यालयों या क्लीनिक्स में. जो आमतौर पर किसी मान्य संस्थाओं से जुड़े नहीं होते या फिर उनकी मान्यता नहीं होती. कम से कम अमेरिका और अन्य देशों में ऐसी कोई संस्था नहीं है, जो इस तरह के ट्रीटमेंट को मान्यता देता हो. अमेरिका के कुछ प्रांतों में इस तरह के ट्रीटमेंट को मसाज या स्पा सेंटर के तौर पर देखा जाता है. या फिर बॉडीवर्क थैरेपी में गिना जाता है. (फोटोः कैरोलिना ग्राबोवस्का/पेक्सेल)

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गैर-सरकारी संस्थान नेशनल सर्टिफिकेशन बोर्ड फॉर थेराप्यूटिक मसाज एंड बॉडीवर्क (NCBTMB) वॉलन्टियर बोर्ड सर्टिफिकेशन एग्जाम कराता है. जिसे मसाज थैरेपिस्ट या वैकल्पिक हीलर्स देते हैं. यह संस्थान लोगों, निजी संस्थानों, व्यवसायिक संस्थानों और स्कूलों को वैकल्पिक हीलर्स बनने और सेवा लेने की सलाह देते हैं. लेकिन इसे लेकर कुछ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया भी है. (फोटोः मिखाइल निलोव/पेक्सेल)

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