मोचा, बिपरजॉय, तेज, हमून, मिछली और अब मिचौंग. छह बार चक्रवाती तूफान. तीन बार डिप्रेशन बने. ये हैं- BOB 01,
03B, BOB 03 और ARB 02. यानी अगर ये डिप्रेशन की स्थिति गंभीर होती तो ये भी चक्रवाती तूफान बन जाते. हर साल की तरह इस साल भी नॉर्थ इंडियन ओशन साइक्लोन सीजन (North Indian Ocean Cyclone Season) आया. साल के पहले महीने में ही चक्रवाती तूफान का पहला सिस्टम बन गया. (सभी फोटोः IMD/PTI)
इस साल साल आए सभी चक्रवाती तूफानों में सबसे ताकतवर मोचा (Mocha) था. हवाएं 215 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलीं. इस साल आए छह चक्रवाती तूफानों में से चार से अपना रूप बदला है. पहले ये तूफान बने. फिर से साइक्लोनिक स्टॉर्म बने. इसके बाद सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म. फिर वेरी सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म और एक्सट्रीमली सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म बन गए. बस सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म बनना रह गया.
इन सारे तूफानों और डिप्रेशन की वजह से पूरे देश में कुल 506 लोगों की मौत हुई. 20 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ. इस साल अरब सागर में एक ही तूफान आया. नाम था बिपरजॉय (Biparjoy). बंगाल की खाड़ी जैसे अरब सागर गर्म नहीं है. जब बंगाल की खाड़ी में हर साल 2 या 3 चक्रवाती तूफान आते थे, तब अरब सागर में एक भी चक्रवात पैदा नहीं होता था. लेकिन अब अरब सागर भी गरम हो रहा है. यहां ज्यादा तीव्रता वाले तूफान आ रहे हैं.
पिछले 40 सालों में हर मॉनसून से पहले अरब सागर के तापमान 1.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है. यह वैश्विक गर्मी यानी ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है. इसके अलावा हमने यह भी नोटिस किया है कि अरब सागर में चक्रवातों के आने की फ्रिक्वेंसी और तीव्रता लगातार बढ़ रही है.
इससे पहले अरब सागर में सबसे भयावह चक्रवाती तूफान ताउते था. जो साल 2021 में आया था. अरब सागर में चक्रवातों की शुरुआत तो कमजोर स्तर से शुरू होती है लेकिन ये अचानक से बढ़कर अत्यंत गंभीर स्तर पर पहुंच जाती है. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले कमजोर तूफान अचानक से अपनी गति बढ़ाते हैं. इसे रैपिड इंटेसीफिकेशन (Rapid Intensification) कहते हैं. यानी पहले तूफान की गति कम होती है, जो 24 घंटे में ढाई से तीन गुना बढ़ जाती है.
चक्रवात बिपरजॉय के आने से पहले अरब सागर यानी उत्तरी हिंद महासागर का तापमान औसत से 1.5 से 2.0 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो गया था. एक तो जमीनी सतह गर्म ऊपर से समुद्र का तापमान बढ़ने की वजह से साइक्लोन की ताकत और बढ़ गई.
अगर आप IPCC की पांचवीं एसेसमेंट रिपोर्ट देखेंगे तो उसमें भी लिखा गया है कि ग्रीनहाउस गैसों से निकलने वाली अतिरिक्त गर्मी का 93% हिस्सा समंदर सोखते हैं. ऐसा 1970 से लगातार हो रहा है. इसकी वजह से सागरों और महासागरों का तापमान साल-दर-साल बढ़ रहा है. ऐसे माहौल की वजह से बिपरजॉय जैसे उष्णकटिबंधीय चक्रवाती तूफानों की आमद बढ़ गई है.
बिपरजॉय जैसे तूफान हमेशा सागरों के गर्म हिस्से के ऊपर ही बनते हैं, जहां पर औसत तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है. ये गर्मी से ऊर्जा लेते हैं और सागरों से नमी खींचते हैं. अरब सागर और हिंद महासागर का पश्चिमी हिस्सा पिछली एक सदी से लगातार गर्म हो रहा है. गर्म होने का यह दर किसी भी अन्य उष्णकटिबंधीय इलाके से ज्यादा है.
वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत में मौसम संबंधी आपदाओं की जानकारी पहले ही सटीकता के साथ मिल जाती है. जिससे राहत एवं आपदा बचाव टीम लोगों को सही समय पर बचा लेती हैं. भारत में मैनग्रूव्स को बढ़ाना चाहिए. क्योंकि ये तूफानों के दौरान आने वाली बाढ़ और ऊंची लहरों से बचाते हैं.