चक्रवाती तूफान रेमल ने अपनी दिशा और गति बदल ली है. लेकिन ये साल का पहला चक्रवाती तूफान था. बंगाल की खाड़ी में बना पहला साइक्लोन भी. वैसे आमतौर पर अब अरब सागर में ज्यादा साइक्लोन आते हैं. जबकि पहले बंगाल की खाड़ी में आते थे. कैसे ये तूफान बनते हैं? कहां से आते हैं? (फोटोः AFP)
अरब सागर आमतौर पर बंगाल की खाड़ी की तुलना में ज्यादा शांत रहता है. इसलिए ज्यादातर साइक्लोन बंगाल की खाड़ी में आते हैं. न कि अरब सागर में लेकिन पिछले कुछ सालों से अरब सागर में इनके आने की दर, तीव्रता व भयावहता बढ़ती जा रही है. (फोटोः गेटी)
बंगाल की खाड़ी अरब सागर की तुलना में ज्यादा गर्म होती है. बंगाल की खाड़ी में साल में दो बड़े चक्रवाती तूफान आने की आशंका रहती है. ये आमतौर पर मार्च से मई और अक्तूबर से दिसंबर के बीच आते हैं. (फोटोः एपी)
दूसरी तरफ अरब सागर भी अब क्लाइमेट चेंज की वजह से गर्म हो रहा है. इसलिए उधर भी चक्रवाती तूफानों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिसकी वजह से यहां पर ज्यादा तीव्रता के साथ चक्रवात आ रहे हैं. (फोटोः एपी)
पिछले 40 सालों में हर मॉनसून से पहले बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के तापमान करीब 1 से 1.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है. यह वैश्विक गर्मी की वजह से हो रहा है. इसलिए तूफानों की संख्या और तीव्रता बढ़ती जा रही है. (फोटोः गेटी)
बंगाल की खाड़ी में इससे पहले आए खतरनाक तूफान थे आसानी, अम्फान, फानी, निवार, बुलबुल, तितली, यास और सितरंग. जबकि अरब सागर में ताउते, वायु, बिपरजॉय, निसर्ग और मेकानू थे. (फोटोः एपी)
मौसम विज्ञानी कहते हैं कि कुछ तूफान तो बाकायदा गर्मी के मौसम में समंदर के गर्म होने के बाद आते हैं. प्री-मॉनसून के आसपास. लेकिन बेमौसम तूफानों की वजह होती है रैपिड इंटेसीफिकेशन. यानी पहले तूफान की गति कम होती है, जो 24 घंटे में बढ़कर ढाई से तीन गुना बढ़ जाती है. (फोटोः रॉयटर्स)
सभी तूफानों के बनने के समय समुद्री सतह का तापमान डेढ़ से दो डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो जाता है. एक तो जमीनी सतह गर्म ऊपर से समुद्र का तापमान बढ़ने की वजह से साइक्लोन की ताकत और बढ़ जाती है. (फोटोः रॉयटर्स)
IPCC की पांचवीं एसेसमेंट रिपोर्ट देखिए तो पता चलेगा कि ग्रीनहाउस गैसों से निकलने वाली अतिरिक्त गर्मी का 93% हिस्सा समंदर सोखते हैं. 1970 से ऐसा लगातार हो रहा है. इससे सागरों का तापमान साल-दर-साल बढ़ रहा है. (फोटोः एपी)
आमतौर पर चक्रवाती तूफान हमेशा सागरों के गर्म हिस्से के ऊपर ही बनते हैं, जहां पर औसत तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है. ये गर्मी से ऊर्जा लेते हैं और सागरों से नमी खींचते हैं. (फोटोः एपी)
अरब सागर और हिंद महासागर का पश्चिमी हिस्सा पिछली एक सदी से लगातार गर्म हो रहा है. गर्म होने का यह दर किसी भी अन्य उष्णकटिबंधीय इलाके से ज्यादा है. (फोटोः एपी)
भारत में मौसम संबंधी आपदाओं की जानकारी पहले ही सटीकता के साथ मिल जाती है. जिससे राहत एवं आपदा बचाव टीम लोगों को सही समय पर बचा लेती हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
भारत में मैनग्रूव्स को बढ़ाना चाहिए. क्योंकि ये तूफानों के दौरान आने वाली बाढ़ और ऊंची लहरों से बचाते हैं. (फोटोः रॉयटर्स)