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साइंस न्यूज़

जॉम्बी वायरस, HSV-1... इस साल खोजे गए खतरनाक वायरसों की लिस्ट जो इंसान के लिए बन सकते हैं खतरा

ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST
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जॉम्बी वायरस (Zombie Virus)...  सबसे पहले उस वायरस की चर्चा करते हैं, जो 48,500 साल पहले मर गया था. लेकिन साइबेरिया में वैज्ञानिकों ने उसे जिंदा कर दिया. इस वायरस को जॉम्बी वायरस (Zombie Virus) नाम दिया गया है. ये वायरस साइबेरिया की जिरियांका में बहने वाली कोलीमा नदी के पर्माफ्रॉस्ट से निकाला गया. यह वायरस अमीबा को संक्रमित कर चुका है. डर इस बात का है ग्लोबल वॉर्मिंग से पिघलने वाले पर्माफ्रॉस्ट से ऐसे कई वायरस और निकलेंगे. (फोटोः गेटी)

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एचएसवी-1 (HSV-1)... कोल्ड सोर्स करने वाला हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस 1 (HSV-1). इसके पूर्वजों की पहचान तो 5200 साल पुरानी है. लेकिन आज की तारीख में इसके आधुनिक वर्जन भी मौजूद हैं. एक इसी साल मिला है. कुछ रिसर्चर्स का मानना है कि यह चुंबन यानी किस से फैलता है. हर्पीस वायरस ब्रॉन्ज एज के समय भी था. (फोटोः डॉ. बारबरा वेसेल्का)

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नॉर्स गॉड्स वायरस (Norse Gods Virus)... वैज्ञानिकों ने ऐसे रहस्यमयी वायरसों के समूह का जेनेटिक अंश खोजा है, जो असगार्ड आर्किया (Asgard archaea) को भी संक्रमित करक सकते हैं. प्राचीन असगार्ड माइक्रोब्स धरती पर पहले मल्टी सेल से पहले मौजूद था. इस वायरस का नाम नॉर्स माइथोलॉजी पर रखा गया है. (फोटोः ब्रेट बेकर)

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मोनो वायरस (Mono Virus)... मोनो यानी मल्टिपल स्क्लेरोसिस जैसी ऑटोइम्यून डिजीस पैदा करने वाला वायरस. इसे एपस्टीन-बर्र वायरस (Epstein-Barr Virus) भी कहते हैं. यह वायरस सीधे दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर हमला करता है. इसकी वजह से इंसानों को भविष्य में बड़ा खतरा है. (फोटोः गेटी)

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आर्कटिक लेक में जायंट वायरस (Giant Virus in Arctic Lake)... उत्तरी ध्रुव से 800 किलोमीटर दूर द मिलने फियोर्ड एपिशेल्फ (The Milne Fiord Epiself Lake) झील है. यहां पर जायंट वायरस हैं, जो यहां की काई (Algae) को खा रहे हैं. ये वायरस आकार में कई बैक्टीरिया से भी बड़े हैं. ये भविष्य में बड़ा खतरा बन सकते हैं. (फोटोः डेनिस साराजिन)

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बैक्टीरिया को खाने वाले वायरस (Viruses Infect Bacterias)... जो वायरस बैक्टीरिया को संक्रमित करके उन्हें खा जाते हैं, उन्हें बैक्टीरियोफेज (Bacteriophges) कहते हैं. इनसे प्रभावी एंटीबायोटिक बन सकते हैं. ताकि ड्रग रेजिसटेंट सुपरबग्स का इलाज हो सके. यह इकलौता ऐसा वायरस है, जो इंसानों के लिए फायदेमंद है. 

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इंसानों के शरीर में प्राचीन वायरस (Ancient Virus in Human Body)... इंसानी जीनोम में प्राचीन वायरस के अंश मिले हैं. इन्हें जंक डीएनए कहा जाता है. हमेशा हमारे ऊतकों (Tissues) के बीच घूमते रहते हैं. ये हमारे स्वस्थ ऊतकों के साथ क्या करते हैं, यह अब भी रहस्य है. हर ऊतक पर इनका अलग असर होता है. (फोटोः गेटी)

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टोरोवायरस (Torovirus)... इस साल वैज्ञानिकों ने आरएनए प्रजाति के करीब 5500 वायरसों की खोज की है. ये इससे पहले कभी नहीं देखे गए. टोरोवायरस इसी में से एक है. ये किस तरह से इंसानों को नुकसान पहुंचा सकता है, ये फिलहाल नहीं पता. लेकिन इन खतरनाक वायरसों की खोज दुनिया भर के अलग-अलग समुद्रों में की गई है. (फोटोः गेटी)
 

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अरेनावायरस (Arenavirus)... दुनिया भर के समुद्रों में RNA वायरसों की खोज जल्द ही हुई है. इसमें से एक है अरेनावायरस. ये वायरस समुद्र में अलग-अलग प्रजातियों के जीव-जंतुओं को संक्रमित करता है. यह वायुमंडल से कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है. ये रहस्यमयी वायरस समुद्र में कार्बन डाईऑक्साइड के बहाव को प्रभावित कर सकता है. (फोटोः गेटी)

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ब्लैक लेग्ड टिक (Black-legged Tick)...  पेंसिलवेनिया के लॉरेंस टाउनशिप रीक्रिएशनल पार्क में काले पैरों वाले टिक बढ़ गए. इनके अंदर जान लेने वाला वायरस होता है. जिसे डीयर-टिक वायरस (Deer-Tick Virus) नाम दिया गया है. ये टिक के काटने से इंसानों में फैल सकता है. यह इंसानों के लिए बहुत खतरनाक है. (फोटोः गेटी)

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जापानी इंसेफलाइटिस (Japanese Ecephalitis)... जापानी इंसेफलाइटिस यानी ऐसी वायरस बीमारी जो दिमाग में जानलेवा सूजन पैदा कर देती है. वो अब ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच चुकी है. इसके वायरस ऑस्ट्रेलिया में भी मिले हैं. यह मच्छरों के काटने से फैलता है. इसकी मौजूदगी विक्टोरिया, न्यू साउथ वेल्स, साउथ ऑस्ट्रेलिया और क्वींसलैंड में दर्ज की गई है. वजह जलवायु परिवर्तन है. (फोटोः जिम्मी चान/पेक्सेल)

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रसियन फ्लू (Russia Flu)... इस पर सवाल उठ रहा है कि क्या ये कोरोनावायरस है. असल में ये रूस में 1880 में फैला. फिर पूरी दुनिया को संक्रमित किया. अब वैज्ञानिकों को लग रहा है कि ये कोरोनावायरस के परिवार से है. फिलहाल इस वायरस की पहचान अब भी की जा रही है. यह अब भी बीच-बीच में फैलने लगता है. (फोटोः गेटी)

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