दुनिया के पहले अंतर-महाद्वीपीय चीता स्थानांतरण प्रोग्राम को पिछले महीने तब झटका लगा, जब तीन वयस्क और तीन शावक चीतों की मौत हो गई. चीतों को लाने और उन्हें सुरक्षित करने के लिए 50 करोड़ रुपए का यह प्रोग्राम बनाया गया था. प्रोग्राम का काफी प्रचार-प्रसार हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा.
भारत में 70 साल पहले चीतों को विलुप्त घोषित किया गया था. हैरानी इस बात की है कि अफ्रीका से आए तीन चीते और उनके तीन शावकों की आठ महीने के भीतर ही मौत हो गई. अब वैज्ञानिकों को इस बात कर डर सता रहा है कि क्या कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए पर्याप्त जगह मौजूद है या नहीं.
वैज्ञानिकों और वन विभाग अधिकारियों का कहना हैं कि वे इस योजना को आगे बढ़ाएंगे. लेकिन कई वैज्ञानिक सवाल करते हैं कि क्या यह बुद्धिमानी है? क्या चीते अपनी जगह बदलने की वजह से कूनो में सर्वाइव कर पाएंगे. कूनो नेशनल पार्क की जगह चीतों की आबादी बढ़ने पर कम पड़ जाएगी. आबादी बढ़ने पर आसपास रहने वाले लोग न जाने कैसे चीतों के साथ पेश आएंगे.
इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के अनुसार दुनिया भर के जंगलों में केवल 6,517 चीते बचे हैं. दक्षिण अफ्रीका में चीतों की आबादी फिर से बढ़ी है. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि वहां उनकी बढ़ती आबादी के लिए यह जगह सुरक्षित जंगली आवास नहीं है.
भारत में जो प्रोजेक्ट बनाया गया है स्थान की तुलना में बढ़ती चीतों की आबादी की समस्या को हल करने का एक प्रयास है. प्रोजेक्ट चीता आधिकारिक तौर पर पिछले सितंबर में लॉन्च किया गया था. जब 8 अफ्रीकी चीतों को नामीबिया से भारत में स्थानांतरित किया गया था.
12 चीतों को फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से स्थानांतरित किए गए थे. परियोजना अधिकारियों ने कूनो नेशनल पार्क में सात चीतों को छोड़ा, जो 748 वर्ग किलोमीटर का एक खुला क्षेत्र है. जो कभी चीतों का घर था. अब तेंदुओं का निवास स्थान है. भारत में एक के बाद एक चीता और मादा चीता की मौत के पीछे के कारण का अभी तक पता नही लगा.
कूनो पालपुर नेशनल पार्क में एक और मादा चीता की मौत हुई है. वन विभाग के मुताबिक, मादा चीता दक्षा को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था. डेढ़ महीने के भीतर कूनो पेशनल पार्क में ये तीसरे चीते की मौत है. केंद्र सरकार चीतों के पुनर्वास का लगातार प्रयास कर रही है.
इसी कड़ी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और नामीबिया से 8 चीते भारत मंगाए गए हैं. इस बीच सरकार के इन प्रयासों को फिर झटका लगा है. मध्य प्रदेश में श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक और मादा चीते की मौत हो गई है. इससे पहले एक मादा और फिर एक नर चीते की भी मौत हुई थी.
वन विभाग ने पुष्टि की है कि दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता की मौत हुई है. जानते हैं वन विभाग के मुताबिक,कुछ चीतों की मौत चीतों की आपसी लड़ाई के कारण हुई है. दरअसल इन पर दो नर चीतों ने हमला कर दिया था. इसमें उसकी मौत हो गई. बता दें कि डेढ़ महीने में कूनो नेशनल पार्क में ये तीसरे चीते की मौत हुई है.
भारत समेत एशिया में 19वीं शताब्दी से पहले तक पाई जाने वाली प्रजाति को एशियाई चीता कहा जाता था. अब एशियाई चीता केवल ईरान में बचे हैं. शिकार के कारण ज्यादातर देशों में एशियाई चीते लुप्त हो गए. इसके बाद 1952 में एशियाई चीतों को भारत में लुप्त घोषित किया गया था.