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साइंस न्यूज़

क्या SARS-CoV-2 की तरह अन्य वायरसों के भी वैरिएंट्स होते हैं?

aajtak.in
  • लंदन,
  • 01 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:37 PM IST
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के सभी वैरिएंट्स की लिस्ट तैयार की. यह भी बताया कि इनमें से कौन सा खतरनाक है और किस से घबराने की जरूरत नहीं. अगर कोरोना वायरस इतनी तेजी से म्यूटेट होकर नए रूपों में आ सकता है तो क्या अन्य वायरस भी ऐसा करते हैं. क्या उनके भी इतने वैरिएंट्स होते हैं. जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट. (फोटोः पिक्साबे)

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वांडेरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर सुमन दास ने कहा कि वायरस लगातार रेप्लिकेट करते हैं. लेकिन इसमें भी बाधाएं आती हैं. ऐसी बाधाएं SARS-CoV-2 के साथ भी आईं. जब वायरस किसी कोशिका की मशीनरी पर हमला करके अपने जेनेटिक मटेरियल की कॉपी करता है, तब उसमें गलतियां होती हैं, कुछ नया जुड़ जाता है. कुछ हट जाता है. इसी को म्यूटेशन (Mutation) कहते हैं. (फोटोः एडवर्ड जेनर/पेक्सेल)

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सुमन ने बताया कि हर वायरस म्यूटेशन के बाद खतरनाक नहीं होता. कई बार तो इतना कमजोर हो जाता है कि उसका जीवन खत्म हो जाता है. लेकिन कुछ कड़ी टक्कर और संघर्ष के बाद नए ताकतवर रूप में उभरते हैं. कुछ म्यूटेशन इतने ताकतवर होते हैं कि वो वैक्सीन और इम्यूनिटी को भी धोखा दे देते हैं. जब वैक्सीन के बाद भी किसी को वायरस का संक्रमण होता है, तब इसका मतलब ये होता है कि वायरस शरीर में था. सुस्त था. वैक्सीन आने के बाद भी वह किसी तरह से खुद को बदल लेता है. बस यहीं से नए वैरिएंट के आने की शुरुआत होती है. (फोटोः पिक्साबे)

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सिएटल स्थित फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर में वायरल इवोल्यूशन से पोस्टडॉक्टोरल कर रहीं केटी किसलर ने कहा कि इंफ्लूएंजा वायरस, RSV, एंटेरोवायरस, राइनोवायरस की वजह से सामान्य जुकाम होता है. कोरोना अपनी जेनेटिक सूचनाएं RNA में लेकर घूमता है. जबकि बाकी RNA वायरस ऐसी नहीं करते. सार्स-सीओवी-2 का म्यूटेशन इतना ताकतवर भी नहीं है कि उस पर बहुत ध्यान दिया जाए. यह अन्य RNA वायरस के म्यूटेशन की तरह ही है. जैसे जुकाम का वायरस. यह भी काफी तेजी से रेप्लिकेट होकर संक्रमण फैलाता है. (फोटोः एनी कोलेशी/अनस्पैल्श)

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केटी किसलर ने कहा कि RNA वायरसों में म्यूटेशन की दर काफी ज्यादा होती है. जैसे इंफ्लूएंजा और अन्य साधारण कोरोना वायरस. इनकी वजह से सर्दी होने जैसे लक्षण शरीर में दिखते हैं. कोरोना वायरस बाकी वायरसों की तुलना में काफी ज्यादा म्यूटेशन कर रहा है. लेकिन इसके पीछे कई वजहें हैं. जैसे संक्रमण फैलने के लिए सही वातावरण, जानवर से इंसान में आते समय बदलाव और ट्रीटमेंट या वैक्सीन के बावजूद अपने स्वरूप को बदलना. आप खुद ही देखिए वैक्सीनेशन के बाद भी लोगों को कोरोना हो रहा है. यह सब नए म्यूटेशन करके आए वैरिएंट की वजह से हो रहा है. (फोटोः पिक्साबे)

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यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन में माइक्रोबायोलॉजी की असिसटेंट प्रोफेसर और वायरोलॉजिस्ट जेसी इरेसमस ने कहा कि SARS-CoV-2 की वजह से लोगों को कोरोना संक्रमण हो रहा है. अभी इसके और म्यूटेशन होने बाकी हैं. क्योंकि ये अन्य साधारण वायरसों की तुलना में यह ज्यादा संक्रामक है. इसकी वजह से ज्यादा लोग बीमार पड़ रहे हैं. आमतौर पर कोई वायरस का म्यूटेशन की दर प्रति संक्रमण के हिसाब से होती है. लेकिन पिछले दो साल में कोरोना के मामले में यह दर काफी ज्यादा है. (फोटोः एमिन बेकैन/अनस्पैल्श)

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केटी किसलर ने बताया कि इंसानों में पहली बार कोरोना वायरस जब आया तब वह म्यूटेशन के लिए तैयार नहीं था. लेकिन इंसानों में संक्रमण फैलता गया और वैरिएंटस बनते रहे. म्यूटेशन होता रहा. साल 2019 तक यह सिर्फ जानवरों को संक्रमित करता था. लेकिन अब यह इंसानों में फैल चुका है. वायरस का ट्रांजिशन जानवरों से इंसानों में हो चुका है. इंसानों में आने के बाद से इसके कई वैरिएंट्स आ चुके हैं. कई और आएंगे. क्योंकि वायरस ने इंसानों के अंदर अपने स्वरूप को बदलना सीख लिया है. वह इंसानों के अंदर खुद को विकसित कर रहा है. (फोटोः गेटी)

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साल 2009 में H1N1 फ्लू महामारी का इंफ्लूएंजा वायरस भी कोरोना की तरह ही फैल रहा था. म्यूटेशन कर रहा था. एक साल के अंदर उसके कई वैरिएंटस आ चुके थे. लेकिन कुछ महीनों के बाद उनमें कमी आने लगी थी. वैज्ञानिक ये नहीं जानते कि कोरोना वायरस कैसे एपिडेमिक से पैनडेमिक में बदल गया. लेकिन किसी अन्य महामारी यानी पैनडेमिक के वायरस की स्टडी यह कहती है कि वह कुछ सालों में म्यूटेशन करना बंद कर देते हैं. संक्रमण का दर भी कम हो जाता है. (फोटोः गेटी)

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कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस का इस समय हो रहा म्यूटेशन कई वजहों से हो रहा है. क्योंकि इसके इलाज का कोई तरीका है नहीं. न ही खोजा गया है. वैक्सीन और इलाज के तरीके में कहीं न कहीं कोई ऐसी कमी है, जिससे कोरोना वायरस के वैरिएंट्स लगातार विकसित हो रहे हैं. इन्हें रोकने के लिए नए तरीकों की खोज करनी होगी. अब शायद एंटीबॉडी कॉकटेल, कोवैलेसेंट प्लाज्मा, वैक्सीन कॉकटेल, मेडिसिन का मिश्रण करके इससे राहत मिल सके. (फोटोः गेटी)

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