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दोमुंहे कछुए ने मनाया 25वां जन्मदिन, जानिए आखिर इसके दो सिर कैसे हैं?

aajtak.in
  • जेनेवा,
  • 05 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:14 PM IST
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दुनिया में हैरान करने वाले जीव मौजूद हैं. उनमें से एक है ये दो सिर वाला कछुआ (Double Headed Tortoise). यह कछुआ जेनेवा के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम (Natural History Museum) में है. इस कछुए की खास बात ये है कि दोनों सिरों का अलग-अलग व्यवहार होता है. इनकी अपनी अलग-अलग पर्सनैलिटी है. (फोटोः रॉयटर्स)

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दो सिर वाले कछुए के एक शरीर में दो जोड़े फेफड़े (Two Pairs of Lungs) और दो दिल (Two Hearts) मौजूद हैं. बीते शनिवार को इसका 25वां जन्मदिन मनाया गया. कहते हैं कि इसे पिछले इतने सालों से इस म्यूजियम के हैंडलर्स बहुत संभाल कर रखा है. उसके खाने-पीने, सेहत आदि की पूरा ध्यान रखा जाता है. इस कछुए का नाम है जैनस (Janus). (फोटोः एएफपी)

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जैनस (Janus) को जन्मदिन पर ब्रश कराया गया. उसे उसके पसंद के खाने-पीने के सामान दिए गए. इसे हर दिन ग्रीन टी और कैमोमाइल में नहलाया जाता है. मसाज किया जाता है. खास तरह की डाइट दी जाती है. जैनस को हर दिन ऑर्गेनिक फ्रूट्स और सब्जियां दी जाती हैं. (फोटोः एएफपी)
 

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सिर्फ जन्मदिन ही नहीं, आम दिनों में इसका ख्याल पूरी तरह से रखा जाता है. जैनस (Janus) को लेकर म्यूजियम के कर्मचारियों ने कई प्रोग्राम रखे हैं. जैसे सेल्फी विद जैनस, मीट एंड ग्रीट विद हिस केयरगिवर्स यानी उसका ख्याल रखने वालों से मिले, उन्हें बधाई दें. इसके अलावा जैनस के दो सिरों पर एक साइंटिफिक लेक्चर का भी आयोजन किया जा रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)

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कछुए का ख्याल रखने वाली टीम की प्रमुख एंजेलिका बर्गायन ने कहा कि कई बार ऐसे होता है कि जैनस (Janus) के दोनों सिर अलग-अलग दिशाओं में जाना चाहते हैं. दाहिनी तरफ का सिर ज्यादा सक्रिय है. उसकी पर्सनैलिटी ज्यादा मजबूत है. बाएं तरफ का सिर थोड़ा शांत है. उसे बस खाने-पीने की चीजें अच्छी लगती हैं. वह ज्यादा सक्रिय नहीं रहता. (फोटोः एएफपी)

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एंजेलिका कहती हैं कि हम जैनस (Janus) का खास ख्याल रखते हैं कि कहीं ये पलट न जाए. नहीं तो इससे उससे नुकसान हो सकता है. या फिर उसकी जान जा सकती है. यह कछुआ 1997 में म्यूजियम में ही पैदा हुआ था. इसका नाम रोमन देवता जैनस के नाम पर रखा गया है. क्योंकि रोमन देवता जैनस के भी दो चेहरे थे. (फोटोः एएफपी)

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आमतौर पर दोमुंहे कछुए देखने को कम मिलते हैं. इस स्थिति को बाइसिफैली (Bicephaly) कहते हैं. जब कोई जुड़वा पैदा होने से पहले अलग नहीं हो पाता तब ऐसी स्थिति बनती है. दस हजार कछुओं के जन्म पर कोई एक कछुआ ऐसा पैदा होता है. इनके जीवित रहने की संभावना बेहद कम होती है. ये पहला ही केस है जब कोई दोमुंहा कुछए इतने लंबे समय तक जीवित रह पाया है. (फोटोः रॉयटर्स)

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