नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि डीपीसीसी की रिपोर्ट में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है. इस रिपोर्ट में आर्य नगर गांव में एक जोहड़ और पास के पार्क में कचरे की डंपिंग का खुलासा हुआ है.ट्रिब्यूनल ने इस मामले में DPCC, MCD, DDA और दिल्ली वेटलैंड प्राधिकरण को प्रतिवादी बनाया है. (सभी प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
एनजीटी ने कहा कि सभी प्रतिवादियों को अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामे के रूप में अपना जवाब देना होगा. इस मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर, 2024 को होगी. एनजीटी में जो आवेदन दिया गया है उसमें साफ कहा गया है कि तालाब को कूड़े व अन्य अपशिष्ट से भर दिया गया है, जिससे तालाब की पहचान खत्म हो रही है. (फोटोः AFP)
सात नवंबर, 2023 को जारी अपने आदेश में ट्रिब्यूनल ने आवेदन का निपटारा करते हुए डीपीसीसी के सदस्य सचिव को साइट का निरीक्षण करने, स्थिति की पुष्टि करने, यदि आवश्यक हो तो जरूरी कार्रवाई करने को कहा था. साथ ही इस बारे में रजिस्ट्रार जनरल से एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया था. (फोटोः गेटी)
एनजीटी ने यह भी निर्देश दिया था कि यदि आवश्यक हो तो मामले को अदालत के समक्ष रखा जाना चाहिए. डीपीसीसी ने 12 मार्च, 2024 को पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निरीक्षण के दौरान, तालाब में बोतलें और पॉलीथीन जैसे प्लास्टिक कचरे को तैरते देखा गया. (फोटोः गेटी)
रिपोर्ट में यह कहा गया था कि इसके आसपास रहने वाले स्थानीय निवासी तालाब में अवैध रूप से कचरा डाल रहे हैं. तालाब के बगल में स्थित एक पार्क में गोबर और कचरा था. इस पार्क का प्रबंधन एमसीडी के हाथों में है. (फोटोः गेटी)
इस क्षेत्र में उचित सीवर प्रणाली का अभाव है. तालाब के बगल में एक खुला नाला सीवेज को सीधे तालाब में छोड़ रहा है. पार्क के प्रवेश द्वार पर भी कचरा था, जो तालाब में जा सकता है. उधर, बवाना और नरेला में प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक की बनी वस्तुओं का निर्माण हो रहा है. (फोटोः पिक्साबे)
एनजीटी ने बवाना और नरेला में प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक की बनी चीजों का उत्पादन करने वाली इकाइयों के साथ-साथ दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम और दिल्ली नगर निगम को अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. यह निर्देश 20 अगस्त, 2024 को दिया गया है. (फोटोः PTI)
डीपीसीसी ने 27 मई, 2024 को इससे जुड़ी 36 इकाइयों को तत्काल बंद करने का आदेश दिया था. हालांकि, अदालत को जानकारी दी गई है कि ये इकाइयां बंद करने के आदेश का उल्लंघन कर अब भी चल रही हैं. (फोटोः पिक्साबे)