दिल्ली-NCR के कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की किल्लत अब कम होगी. क्योंकि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने फाइटर जेट तेजस की तकनीक वाले प्लांट AIIMS और RML अस्पताल में लगवा दिए हैं. इसके अलावा ये ऑक्सीजन प्लांट्स सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिग्स मेडिकल कॉलेज, एम्स झज्जर हरियाणा में लगाया जाएगा. ये मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स पीएम केयर्स के तहत लगाए जा रहे हैं. पीएम केयर्स के तहत DRDO देश के 500 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट्स लगाएगा. (फोटोःएम्स)
ये प्लांट्स 4 मई को दिल्ली पहुंचे और तत्काल इन्हें एम्स ट्रॉमा सेंटर और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचाया गया. इन प्लांट्स को लगाने का काम बेहद तेजी से हो रहा है. इन प्लांट्स को पूरे अस्पताल से जोड़ दिया जाएगा. इसके बाद इसका एक ट्रायल होगा कि प्लांट सही काम कर रहा है या नहीं. ये परीक्षण 5 मई 2021 को होंगे. ऐसी संभावना है कि ट्रायल सफल होने के बाद पांच मई की शाम तक इन प्लांट्स को ऑपरेशनल कर दिया जाएगा. (फोटोः एम्स)
DRDO ने खुद इन 500 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स (MOP) की तकनीक विकसित की है. इसी तकनीक से स्वदेशी हल्के मल्टीरोल कॉम्बैट फाइटर जेट में ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है. यानी अब जिस तकनीक से लड़ाकू विमान तेजस के अंदर बैठे पायलट्स को ऑक्सीजन मिलती है, उसी तकनीक से कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन बनाकर दिया जाएगा. (फोटोः गेटी)
एक प्लांट के जरिए प्रति मिनट 1000 लीटर ऑक्सीजन बनाया जा सकता है. यह सिस्टम एक बार में 190 मरीजों को ऑक्सीजन दे सकता है. DRDO ने कहा कि इस तकनीक से प्रति दिन 195 ऑक्सीजन सिलेंडर को भरा जा सकता है. जो 190 कोरोना मरीजों को 5 लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट के दर से ऑक्सीजन की सप्लाई होगी. (फोटोः एम्स)
DRDO ने कहा था कि अस्पताल इस तकनीक से अपने कैंपस के अंदर ही काफी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं. यह काफी सस्ता भी है. इससे ऑक्सीजन सिलेंडर या टैंकर मंगाने का खर्च बचेगा. साथ ही ऑक्सीजन की सप्लाई अस्पतालों में कम नहीं होगी. कोरोना मरीजों को लगातार ऑक्सीजन की सप्लाई होती रहेगी. (फोटोः एम्स)
एक बार यह MOP प्लांट अस्पताल में लग जाए तो उसके बाद अस्पताल को ऑक्सीजन मंगाने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी. साथ ही सिलेंडर पर निर्भरता भी खत्म होगी. अगर सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था नहीं तो सिलेंडर में ऑक्सीजन भरकर मरीजों को जिंदगी की सांस दी जा सकती है. (फोटोः पीटीआई)
DRDO ने बताया कि इस तकनीक को उन्होंने टाटा एंडवास्ंड सिस्टम बेंगलुरु और ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड कोयंबटूर को ट्रांसफर किया है. ये दोनों संस्थान मिलकर देश के विभिन्न अस्पतालों में 380 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स बनाएंगे. इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून के साथ मिलकर औद्योगिक इकाइयां 500 लीटर क्षमता वाले 120 प्लांट्स लगाएंगे. (फोटोः गेटी)
मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स (Medical Oxygen Plants - MOP) तेजस फाइटर जेट में लगाए गए ऑक्सीजन प्लांट का बड़ा रूप है. इससे अस्पतालों को सीधे ऑक्सीजन की सप्लाई दी जा सकती है या फिर ऑक्सीजन सिलेंडरों को भरा जा सकता है. (फोटोः गेटी)
DRDO ने बताया कि MOP में प्रेशर स्विंग एडसॉर्पशन (Pressure Swing Adsorption - PSA) तकनीक का उपयोग किया गया है. इसके साथ ही इसमें मॉलीक्यूलर सीव (Molecular Sieve - Zeolite) टेक्नोलॉजी भी लगाई गई है. इस तकनीक से वायुमंडल में मौजूद हवा को खींचकर उसमें से ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है. (फोटोः DRDO)
DRDO ने बताया कि तेजस टेक्नोलॉजी वाले 5 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स को दिल्ली-NCR में लगाया जाएगा. इसके लिए साइट्स का चयन किया जा रहा है. इस तकनीक पर आधारित ऑक्सीजन प्लांट्स पहले ही उत्तर-पूर्वी राज्यों और लेह-लद्दाख में सेना के ठिकानों पर लगाए जा चुके हैं. (फोटोः गेटी)
DRDO ने टाटा और ट्राइडेंट कंपनी के साथ जिन 380 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स को बनाने का फैसला किया है, उसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO के इस प्रयास और तकनीक की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि DRDO की इस तकनीक से लाखों कोरोना मरीजों को जिंदगी की सांस मिलेगी. ऐसे संकट की घड़ी में डीआरडीओ का यह फैसला स्वागत योग्य है. (फोटोः गेटी)
DRDO के प्रमुख डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने भरोसा दिलाया है कि DRDO अपनी तकनीकों की बदौलत देश में सभी कोरोना मरीजों तक ऑक्सीजन की सप्लाई करने को तैयार है. वो सभी बड़े अस्पतालों में इस तकनीक से प्लाटंस लगवाना सुनिश्चित करेगा. साथ ही इसके लिए अलग-अलग स्वास्थ्य एजेंसियों से भी कॉर्डिनेट करेगा. (फोटोः गेटी)