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दुनिया का सबसे बड़ा तैरता कचराघर, बोस्निया की नदी के बहते कचरे से तीन देशों को खतरा

आजतक साइंस डेस्क
  • वाइसग्रैड,
  • 09 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:04 PM IST
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ये है दुनिया का सबसे बड़ा तैरता हुआ कचराघर. बोस्निया के वाइसग्रैड इलाके में मौजूद ड्रिना नदी तैरते हुए कचरे का ढेर बन गई हैं. बोस्निया में प्रदूषण को लेकर नियम कमजोर हैं. इसलिए नदी का ये हाल हुआ है. इस कचरे के ढेर में प्लास्टिक बोतलें, जंग लगे बैरल, पुराने टायर, घरेलू उपकरण, लकड़ियां और अन्य चीजें दिखती हैं. (सभी फोटोः रॉयटर्स) 

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बोस्निया-हर्जेगोविना के शहर वाइसग्रैड में बहती है ड्रिना नदी. अब नदी कचरे का ढेर बन गई है. इस शहर के लोग और आने वाले पर्यटक सारा कचरा इसी नदीं में फेंक देते हैं. सालों से ये काम होता आ रहा है. इससे कचरा बढ़ता चला गया.  सर्दियों और बारिश में ढेर का आकार और बड़ा हो जाता है.   

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इस कचरे को पूरी नदी में फैलने से रोकने के लिए बैरियर बनाया गया है. इस बैरियर के अंदर प्लास्टिक की बोतलें, जंग लगे हुए बैरल, डिब्बे, घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, लकड़ियां और ढेर सारा ऐसा कचरा है, जो नदी को रसायनिक तौर पर प्रदूषित कर रहा है. इस बैरियर को बोस्नियन हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट की टीम ने बनाया. 

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बैरियर बनाने की वजह ये थी कि हजारों टनों में मौजूद यह कचरा नदी के बहाव के साथ निचले इलाकों में न चला जाए. क्योंकि सर्दियों और बारिश के सीजन में बोस्निया, सर्बिया और मॉन्टेनेग्रो में बहने वाली यह नदी खतरे के निशान से ऊपर बहने लगती है. इससे कई बार बाढ़ आ जाती है. दो दिन पहले ही यहां पर बारिश हुई. फिर बर्फबारी. 

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एको सेंटार वाइसग्रैड नाम के पर्यावरण समूह के देजन फुरतुला ने कहा कि काफी बारिश हुई है. कचरा बहकर मॉन्टेनेग्रो के निचले इलाके तक आ सकता है. लेकिन फिलहाल इसे बैरियर से रोका गया है. ड्रिना नदी 346 किलोमीटर लंबी है. इसकी कई शाखाएं भी हैं. यह सीजन नदी के लिए गारबेज सीजन कहलाता है. 

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जब नदी में कचरा नहीं रहता तब बोस्निया और सर्बिया के सीमा पर नदीं में राफ्टिंग भी होती है. एक अंदाजे के अनुसार इस समय नदी में जो कचरे का ढेर दिख रहा है, वह 10 हजार क्यूबिक मीटर है. हाल-फिलहाल के सालों में भी लगभग इतना ही कचरा हमने नदीं से साफ कराया था. अब इसे साफ कराएंगे लेकिन उससे पहले मौसम के साफ होने का इंतजार है. 

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देजन कहते हैं कि इस कचरे को साफ करने में कम से कम छह महीने का समय लगेगा. वाइसग्रैड की नगरपालिका के पास इतनी जगह नहीं बची है कि वो इस कचरे को रख सके. नगरपालिका के गारबेज डंप पर हमेशा आग जलती रहती हैं. क्योंकि इन कचरों को जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. लेकिन ये आग शहर के लोगों के लिए खतरनाक है. 
 

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1990 के दशक तक चले लंबे युद्ध के बाद यूगोस्लाविया अलग हुआ. लेकिन बोस्निया-हर्जेगोविना बाकी यूरोपीय देशों से विकास के मामले में काफी पीछे छूट गए. यह देश उपयुक्त कचरा ट्रीटमेंट प्लांट या ऐसी व्यवस्थाएं नहीं कर पाया है. लोग कचरे को पहाड़ों और घाटियों में डंप करते हैं. जो बारिश में बहकर नदियों तक पहुंच जाता है. 

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लोग कचरे को प्लास्टिक की थैलियों में भरकर पेड़ों की टहनियों से लटका देते हैं. जो बाद में धीरे-धीरे जानवरों के हमले से फटकर नीचे गिर जाता है. कई बार मौसम की वजह से टूट कर नीचे गिरता है. ऐसे में कचरा फिर बारिश के सीजन में बहकर नदियों में जमा होने लगता है. 

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