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सौर मंडल के सबसे बड़े चांद गैनीमेडे पर पहली बार मिला पानी का भाप

aajtak.in
  • ह्यूस्टन,
  • 30 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 1:51 PM IST
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वैज्ञानिकों ने पहली बार बृहस्पति ग्रह के सबसे बड़े चांद पर पानी का भाप (Water Vapor) खोजा है. इस चांद का नाम है गैनीमेडे (Ganymede). गैनीमेडे हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है. एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि गैनीमेडे पर भाप मिले हैं. इससे पहले की स्टडीज में यह खुलासा किया गया था कि गैनीमेडे पर धरती के सभी समुद्रों से ज्यादा पानी मौजूद है. (फोटोः गेटी)

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बृहस्पति के सबसे बड़े चांद गैनीमेडे (Ganymede) का आकार मर्करी (Mercury) और प्लूटो (Pluto) से ज्यादा है और मंगल ग्रह (Mars) से थोड़ा छोटा है. स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि गैनीमेडे इतना ज्यादा ठंडा है कि इसकी सतह पर मौजूद पानी जमकर ठोस बर्फ बन चुका है. अगर इस ग्रह पर कहीं भी पानी है तो वह ठोस बर्फ की 160 किलोमीटर मोटी चादर के नीचे जमीन के अंदर है. (फोटोःगेटी)

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पुरानी स्टडीज में यह कहा गया था कि गैनीमेडे (Ganymede) की ठोस बर्फ सीधे गैस बन जाती है. यह तरल होने की प्रक्रिया को छोड़ देती है. इस वजह से निकली गैस यानी भाप गैनीमेडे के चारों तरफ एक पतला वायुमंडल बनाती है. इसलिए इस बात के प्रमाण पुख्ता तौर पर मिलते हैं कि गैनीमेडे पर पानी का भाप मौजूद है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के हबल स्पेस टेलिस्कोप से मिले डेटा के आधार पर अंतरिक्ष विज्ञानियों ने यह खुलासा किया है. (फोटोः गेटी)

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साल 1998 में हबल ने गैनीमेडे (Ganymede) की पहली अल्ट्रावायलेट तस्वीर ली थी. इसके अलावा उसके ऊपर बनने वाली अरोरा (Aurora) जिसे नॉर्दन और साउर्दन लाइट्स कहते हैं, उसकी तस्वीर भी ली थी. इस तस्वीर में गैनीमेडे के चारों तरफ इलेक्ट्रिफाइड गैस की लकीरें भी दिखाई दे रही थीं. जिससे पता चलता है कि गैनीमेडे पर कमजोर चुंबकीय शक्ति है. जब इसके अरोरा की अल्ट्रावायलेट सिग्नल से जांच की गई तो उसमें वैज्ञानिकों को ऑक्सीजन के कण मिले. (फोटोः नासा)

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गैनीमेडे (Ganymede) पर ऑक्सीजन के कण मिलने का मतलब ये था कि उसकी सतह से बर्फ से निकलने वाली भाप वायुमंडल में घुल रही है. यानी यहां पर शुद्ध ऑक्सीजन के कण मौजूद हैं. इससे पहले की स्टडीज में यह बात सामने आई थी कि ऑक्सीजन तो है लेकिन वह एक एटम कण का बना है, जबकि इस बार की स्टडी में यह बात स्पष्ट हो गई है कि यहां पर दो एटम वाले ऑक्सीजन (O2) कण मौजूद हैं. (फोटोः नासा)

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गैनीमेडे (Ganymede) पर ऑक्सीजन खोजने की प्रक्रिया नासा के जूनो मिशन (Juno Mission) का हिस्सा है. जिसमें वैज्ञानिक जूनो और हबल की मदद से गैनीमेडे के वायुमंडल में आणविक ऑक्सीजन की खोज कर रहे थे. अब यह खोज सफल हो चुकी है. गैनीमेडे पर दिन में अधिकतम तापमान माइनस 123 डिग्री सेल्सियस रहता है. न्यूनतम तापमान घटकर माइनस 193 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. (फोटोः गेटी)

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गैनीमेडे (Ganymede) में जहां तापमान बढ़ता है, वहां पर बर्फ से सीधे भाप निकलती है. वह तरल रूप में आने ही नहीं पाती. अब इसी बात का पता कर रहे हैं वैज्ञानिक कि आखिर बर्फ से सीधे भाप कैसे बन रही है. क्योंकि भाप से पहले तरल पदार्थ में बदलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे नकारा नहीं जा सकता. स्टॉकहोम स्थित केटीएस रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्लैनेटरी साइंटिस्ट और इस स्टडी के प्रमुख लेखक लोरेंज रोथ ने कहा कि हमारे डेटा इस बात की पुष्टि करते हैं कि गैनीमेडे के वायुमंडल में पानी का भाप है. (फोटोः गेटी)

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लोरेंज ने कहा कि वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा की जांच करने के लिए हमने जब अल्ट्रावायलेट सिग्नलों का उपयोग किया तो यहां पर ऑक्सीजन की मात्रा इतनी ज्यादा मिली, जितनी किसी और गैस की नहीं थी. इस बात से यह बात पूरी तरह से प्रमाणित हो जाती है कि हमारे सौर मंडल के इस सबसे बड़े चांद पर मौजूद बर्फीली सतह के नीचे पानी है. वायुमंडल में पानी का भाप है. यह स्टडी हाल ही में नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुई है. (फोटोः नासा)

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