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साइंस न्यूज़

Gaganyaan क्रू मॉड्यूल रिकवरी टेस्टिंग विशाखापट्टनम में हुई, Indian Navy के जवानों ने किया पूरा

aajtak.in
  • विशाखापट्टनम,
  • 24 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 6:47 PM IST
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गगनयान की लैंडिंग के बाद उसे समुद्र से निकालने के लिए भारतीय नौसेना और इसरो ने विशाखापट्टनम स्थित नेवल डॉकयार्ड पर गगनयान क्रू मॉड्यूल रिकवरी ऑपरेशन पूरा किया गया. साथ ही यह तय किया गया कि नौसेना का कौन सा युद्धपोत या जहाज रिकवरी ऑपरेशन में सबसे आगे रहेगा. (सभी फोटोः ISRO/Indian Navy)

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यह रिकवरी ट्रायल्स विशाखापट्टनम के पूर्वी नौसैनिक कमांड के तहत समुद्र में किया गया. इसमें जो कैप्सूल इस्तेमाल किया गया है, वो ठीक उसी आकार और वजन का है, जैसा असली गगनयान क्रू मॉड्यूल है. इसे सिमुलेटेड क्रू मॉड्यूल मॉकअप (CMRM) कहते हैं. यह बेहद जरूरी टेस्टिंग थी ताकि एस्ट्रोनॉट्स को समय रहते बचा सकें. 

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इस ट्रायल में क्रू मॉड्यूल से बुवॉय लगाना. उसे खींचना. संभालना. इसे उठाकर जहाज पर लिफ्ट करना. पूरे रिकवरी प्रोसेस की सिक्वेसिंग की गई. एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर को तय किया गया. इससे पहले पिछले साल कोच्चि स्थित वाटर सर्वाइवल टेस्ट फैसिलिटी में एक टेस्ट किया गया था. 

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सर्वाइवल टेस्ट फैसिलिटी में गगनयान क्रू मॉड्यूल को तेज लहरों में छोड़ दिया गया. ताकि उसके तैरने की क्षमता को जांचा जा सके. क्रू मॉड्यूल रिकवरी मॉडल की टेस्टिंग के दौरान उसका वजन, सेंटर ऑफ ग्रैविटी, बाहरी ढांचे आदि की जांच की गई. ये जांच उसी तरह से की जा रही है, जिस तरह से लैंडिंग और उसके बाद रिकवरी की जाएगी. 

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ह्यूमन स्पेसफ्लाइट का अंतिम चरण क्रू मॉड्यूल की रिकवरी को माना जाता है. इसलिए इसकी टेस्टिंग पहले हो रही है.  गगनयान क्रू मॉड्यूल में ही भारतीय अंतरिक्षयात्री यानी गगननॉट्स बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे. क्रू मॉड्यूल डबल दीवार वाला अत्याधुनिक केबिन है, जिसमें कई प्रकार के नेविगेशन सिस्टम, हेल्थ सिस्टम, फूड हीटर, फूड स्टोरेज, टॉयलेट आदि सब होंगे.  

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क्रू मॉड्यूल के अंदर लाइफ सपोर्ट सिस्टम होगा. यह ज्यादा और कम तापमान को बर्दाश्त करेगा. स्पेस रेडिएशन से गगननॉट्स को बचाएगा. वायुमंडल से बाहर जाते समय और आते समय इसके अंदर बैठे हुए अंतरिक्षयात्रियों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी. वायुमंडल में प्रवेश करने से पहले मॉड्यूल अपनी धुरी पर खुद ही घूम जाएगा. ताकि हीट शील्ड वाला हिस्सा वायुमंडल के घर्षण से यान को बचा सके. 

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हीट शील्ड जहां वायुमंडल के घर्षण से पैदा गर्मी से बचाएगा वहीं समुद्र में लैंडिंग के समय पानी की टकराहट से लगने वाली चोट को भी. हालांकि क्रू मॉड्यूल को समुद्र में स्प्लैश डाउन करते समय उसके पैराशूट खुल जाएंगे. ताकि इसकी लैंडिंग सुरक्षित हो सके. इसके उतरते ही भारतीय तट रक्षक बल या भारतीय नौसेना के पोत इसे संभालकर उठा लेंगे.

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