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साइंस न्यूज़

प्रशांत महासागर में दिखा कांच जैसा पारदर्शी दुर्लभ ऑक्टोपस

aajtak.in
  • सिडनी,
  • 14 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 11:30 AM IST
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प्रशांत महासागर के सुदूर इलाके में एक ऐसा ऑक्टोपस देखा गया है, जिसे कई सालों ने नहीं देखा गया था. यह ऑक्टोपस पूरी तरह से पारदर्शी (Transparent) है. इसके शरीर में सिर्फ आंखें, आंखों की नसें और खाने की नली ही सिर्फ सही से दिखती हैं, बाकी अंग नीले रंग के कांच की तरह पारदर्शी दिखता है. इसका वीडियो समुद्र के अंदर गोता लगा रहे एक रोबोट ने बनाया है. आइए देखते हैं इस खूबसूरत जीव की शानदार तस्वीरें... (फोटोः शिम्ट ओशन इंस्टीट्यूट)

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समुद्री जीव विज्ञानियों का एक समूह पिछले 34 दिनों से ऑस्ट्रेलिया के सिडनी से 5100 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित फीनिक्स आइलैंड के आसपास समुद्री रिसर्च में लगा है. वहीं पर इन्होंने समुद्री जीवन को समझने के लिए रोबोट को समुद्र के अंदर डाला. इस रोबोट के कैमरे में यह ऑक्टोपस तैरता हुआ दिखाई दिया. कांच जैसे अन्य पारदर्शी जीवों जैसे- ग्लास फ्रॉग, कॉम्ब जैली की तरह ही यह ऑक्टोपस भी पूरी तरह ट्रांसपैरेंट ही था. सिर्फ उसकी आंखें, उसकी नसें और खाने की नली अपने असली रंग और आकार में थे. (फोटोः शिम्ट ओशन इंस्टीट्यूट)

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समुद्री जीव विज्ञानियों को यह कांच जैसा पारदर्शी ऑक्टोपस दो बार दिखा. दूसरी बार वाले का रंग थोड़ा अलग था. ये कुछ लाल रंग का था. ऐसा पहली बार हुआ है कि वैज्ञानिकों के पास इन सीफैलोपोड्स (Cephalopods) की स्पष्ट तस्वीर है. नहीं तो इससे पहले इनकी तस्वीर या वीडियो मिलना मुश्किल होता था. वैज्ञानिक ने जब इनका अध्ययन किया तो यह अपने पारदर्शिता या ट्रांसपैरेंसी का फायदा शिकार और शिकारियों को धोखा देने के लिए करता है. (फोटोः शिम्ट ओशन इंस्टीट्यूट)

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इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के मुताबिक ग्लास ऑक्टोपस (Glass Octopus) की खोज 1918 में हुई थी. इस जीव के बारे में अब तक बहुत कम जानकारी ही वैज्ञानिकों के पास है. यह आमतौर पर मीसोपिलेजिक (Mesopelagic) यानी ट्विलाइट जोन में रहता है. यह जोन 656 से 3280 फीट की गहराई को कहा जाता है. लेकिन कई ग्लास ऑक्टोपस 3280 से 9800 फीट की गहराई में रहते हैं. इसे बैथीपिलेजिक (Bathypelagic) यानी मिडनाइट जोन कहते हैं. अभी जो ग्लास ऑक्टोपस खोजा गया है यह मिडनाइट जोन में तैर रहा था. (फोटोः शिम्ट ओशन इंस्टीट्यूट)

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जर्नल ऑफ द मरीन बायोलॉजिकल एसोसिएशन ऑफ द यूनाइटेड किंगडम की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्लास ऑक्टोपस (Glass Octopus) की आंखों का विकास सिलेंडर जैसी आकृति में इसलिए हुए है ताकि यह कम रोशनी में भी शिकार और शिकारियों को देख सके. यह जानवरों द्वारा दूसरे जीवों को धोखा देने की एक प्रणाली है. जिस साइंटिफिक जहाज ने इस बार ग्लास ऑक्टोपस की खोज की है, उसका नाम है वेसल फाल्कोर (Vessel Falkore). (फोटोः शिम्ट ओशन इंस्टीट्यूट)

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वेसल फाल्कोर (Vessel Falkore) को गूगल के पूर्व सीईओ एरिक श्मिट और वेंडी श्मिट की गैर-सरकारी संस्था श्मिट ओशन इंस्टीट्यूट (Schmidt Ocean Institute) चलाता है. इस जहाज पर इस वक्त बोस्टन यूनिवर्सिटी (Boston University) और वुड्स होल ओशियेनोग्राफिक इंस्टीट्यूट (Woods Hole Oceanographic Institution) के साइंटिस्ट रिसर्च कर रहे हैं. (फोटोः शिम्ट ओशन इंस्टीट्यूट)

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यह समुद्री रिसर्च 8 जुलाई को खत्म हुआ है. इस रिसर्च टीम ने 9 नए समुद्री जीवों की खोज की है.  इनमें से एक नाम तो सीमाउंट (Seamount) है. इसके अलावा इस रिसर्च टीम ने समुद्र की तलहटी का नक्शा भी बनाया है. यह नक्शा 30 हजार वर्ग किलोमीटर के इलाके का है. यह फीनिक्स आइलैंड के आसपास का नक्शा है. साथ ही अंडरवाटर रोबोट सुबास्टियन (SuBastian) ने पांच सीमाउंट्स का वीडियो भी बनाया है. (फोटोः शिम्ट ओशन इंस्टीट्यूट)

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सुबास्टियन (SuBastian) ने ही व्हेल शार्क (Whale Shark) की फुटेज भी ली थी. इसके अलावा लंबे पैरों वाले केकड़े का वीडियो बनाया था, जो दूसरे केकड़े के मुंह से मछली छीन रहा था. इस रिसर्च टीम ने सुबास्टियन (SuBastian) रोबोट को समुद्र में 21 बार भेजा. इस रोबोट ने समुद्र के अंदर करीब 182 घंटे बिताए. जिनमें से सात गोते तो यूएस पैसिफिक रिमोट आइलैंड्स मरीन नेशनल मॉन्यूमेंट्स (PRIMNM) में किए गए हैं. यह मॉन्यूमेंट साल 2009 में स्थापित किया गया था. (फोटोः शिम्ट ओशन इंस्टीट्यूट)

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इस रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने मॉन्यूमेट के आसपास मौजूद समुद्री जीवों की रिकॉर्डिंग की साथ ही यह देखा कि यहां पर कैसे इन जीवों को सुरक्षित रखा जा रहा है. वेसल फाल्कोर ने उन जगहों की यात्रा भी की जहां पर साल 2017 में वैज्ञानिकों ने रिसर्च किए थे. ताकि वहां के बदलावों का अध्ययन किया जा सके. वेंडी श्मिट ने कहा कि समुद्र में हमारे लिए कई तरह के सरप्राइज हैं. (फोटोः शिम्ट ओशन इंस्टीट्यूट)

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वेंडी कहती हैं कि हमें ऐसे रिसर्च एक्सपेडिशन की बहुत जरूरत है ताकि हम समुद्र और उसकी दुनिया को समझ सकें. समुद्री इकोसिस्टम को बचाने के लिए जरूरी है कि हम इन जीवों को जाने. वहां इंसानी घुसपैठ को कम करने का प्रयास करें और प्रदूषण कम करें, ताकि समुद्र का तापमान न बढ़े. (फोटोः शिम्ट ओशन इंस्टीट्यूट)

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