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अंतरिक्ष में होने वाला है 'महायुद्ध'... हमारी आकाशगंगा से टकराएंगे दो 'स्पेस डेविल'

aajtak.in
  • विसकॉन्सिन (अमेरिका),
  • 01 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:30 PM IST
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इस तस्वीर में लाल घेरे में आप जो दो बादलों को टुकड़े देख रहे हैं. असल में ये तारों से निकले हुए गर्म गैस के बादल हैं. जिन्हें वैज्ञानिक अंतरिक्ष का शैतान यानी स्पेस डेविल्स (Space Devils) कह रहे हैं. ये दोनों काफी तेजी से हमारी आकाशगंगा की ओर आ रहे हैं. असल में ये हमारी आकाशगंगा मिल्की वे (Milky Way) के पड़ोसी हैं, जो इस समय आपस में रस्साकशी कर रहे हैं. इनमें एक बड़ा और एक छोटा है. वैज्ञानिकों ने जो उम्मीद लगाई थी, उसकी तुलना में ये बहुत जल्द हमारी आकाशगंगा से टकरा जाएंगे.(फोटोः स्कॉट लूचिनी/कॉलिन लेग)

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वैज्ञानिक भाषा में इन स्पेस डेविल्स को मैग्लेनिक बादल (Magellanic Clouds) कहते हैं. असल में ये दो ड्वार्फ गैलेक्सी हैं. जो किसी तारे के टूटने की वजह से निकली गर्म गैसों का गुबार हैं. इन्हें हमारी आकाशगंगा की ग्रैविटी ने दो हिस्सों में बांट दिया है. इन दोनों का कुल वजन 17 बिलियन सोलर मास है, यानी हमारी आकाशगंगा से करीब 100 गुना छोटे. अब मिल्की वे और इन दोनों के बीच रस्साकशी चल रही है. (फोटोः गेटी)

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300 करोड़ सालों से चल रही इस रस्साकशी का अंत करीब आता जा रहा है. हमारी आकाशगंगा मिल्की वे और इन दोनों ड्वार्फ गैलेक्सियों के बीच यह युद्ध खत्म होने की कगार पर है. हमारी आकाशगंगा इसमें जीतती नजर आ रही है. इस युद्ध की वजह से आप इस तस्वीर में देख पाएंगे कि दोनों गर्म गैस के गुबारों के पीछे एक गहरे लाल रंग का निशान छूट रहा है. जो इस युद्ध की वजह से अंतरिक्ष के दक्षिणी हिस्से पर किसी खरोंच के माफिक दिख रहा है. 

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अगर कभी रात को आसमान साफ हो और आपको अंतरिक्ष का दक्षिण हिस्सा देखने को मिले तो आपको हमारी आकाशगंगा के साथ करीब ही ये दोनों स्पेस डेविल्स (Space Devils) देखने को मिल जाएंगे. ऐसे लगता है कि जैसे इनके पीछे खून की कोई लंबी रेखा खींच दी गई हो. जिनके पीछे एक लंबा निशान भी देखने को मिलेगा. इसे वैज्ञानिक मैग्लेनिक स्ट्रीम (Magellanic Stream) कहते हैं. (फोटोः NASA)

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वैज्ञानिकों ने जो गणना की थी उसकी तुलना में यह घटना काफी जल्दी घट रही है. अगर ये दोनों हमारी आकाशगंगा में आकर मिले तो यहां पर तारों से निकली गर्म गैस की बाढ़ आ जाएगी. रात के आसमान का पूरा नजारा बदल जाएगा. हाल ही में द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक ये दोनों उम्मीद से पहले आकाशगंगा के करीब आ चुके हैं. ये दोनों इस समय हमारी धरती से सिर्फ 65 हजार प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं. जो अंतरिक्ष में बहुत ज्यादा नहीं मानी जाती. यानी उम्मीद से पांच गुना नजदीक. (फोटोः गेटी)

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अगर ये आकाशगंगा में आकर टकराते या मिलते हैं तो स्थितियां भयावह हो सकती हैं. हालांकि राहत की बात ये है कि पहले इन दोनों का आकार अभी के आकार से पांच गुना ज्यादा सोची गई थी. लेकिन ये काफी छोटे निकले. वैज्ञानिकों की गणना के अनुसार इनके टकराने में करीब 5 करोड़ साल का समय है. जबकि वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि इसमें 10 से 15 करोड़ साल का समय लगता. (फोटोः गेटी)

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यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन-मैडिसन में फिजिक्स की शोधार्थी स्कॉट लूचिनी ने कहा कि सबसे ज्यादा हैरत की बात तो ये हैं कि हमारी उम्मीद तो कई करोड़ साल बाद की थी. लेकिन ये गर्म गैसों की स्ट्रीम काफी नजदीक आ चुकी है. यह हमारी आकाशंगगा के बाहरी रिंग के करीब पहुंच चुकी है. अगर आसमान साफ हो तो आप इन्हें अंतरिक्ष के दक्षिणी हिस्से में खुली आंखों से देख सकते हैं. (फोटोः गेटी)

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स्कॉट लूचिनी ने इससे पहले इस रिसर्च के बारे में पिछले साल जर्नल नेचर में भी रिपोर्ट पब्लिश कराई थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि इन गर्म गैसों की लहर का तापमान 5 लाख डिग्री सेल्सियस है. यानी इसके सामने जो कुछ भी आएगा वह सेकेंडों में खाक हो जाएगा. इसकी गर्म लहर को स्कॉट ने मैग्लेनिक कोरोना (Magellanic Corona) नाम दिया था. लेकिन एक साल से जारी इस अध्ययन के दौरान स्कॉट ने इस स्पेस डेविल्स के व्यवहार में काफी बदलाव देखा. (फोटोः गेटी)

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इसके बाद इन गर्म गैसों का कंप्यूटर सिमुलेशन बनाया गया. ताकि इनके तापमान, गति, दिशा आदि का पता किया जा सके. जब इन्होंने कंप्यूटर सिमुलेशन से गणना की तो जो हालात सामने आए वो हैरान कर देने वाले थे. पता चला कि तापमान में फिलहाल थोड़ी कमी है लेकिन यह आकाशगंगा के काफी नजदीक आ चुका है. इसका अंत किस प्रकार से होगा अभी इस पर स्कॉट और उनकी टीम ज्यादा कुछ बोलने को तैयार नहीं है लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि आकाशगंगा की स्थितियां बहुत ज्यादा बदल जाएंगी.  (फोटोः गेटी)

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इन दोनों ड्वार्फ गैलेक्सियों के बीच आपस की दूरी करीब 300 करोड़ साल हैं. लेकिन आकाशगंगा की ग्रैविटी की वजह से ये दोनों धीरे-धीरे नजदीक आते जा रहे हैं. ये भी हो सकता है कि आकाशगंगा में समाने से पहले ये खुद आपस में टकराएं. उसके बाद ये हमारे मिल्की वे में शामिल हों. इस स्टडी में शामिल दूसरे साइंटिस्ट एंड्र्यू फॉक्स ने कहा कि हम लगातार इस गर्म गैसों की लहर पर नजर बनाकर रखे हुए हैं. (फोटोः गेटी)

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