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साइंस न्यूज़

3 जुलाई 2023... धरती के इतिहास का सबसे गर्म दिन, रिकॉर्ड कायम

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 10:27 AM IST
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3 जुलाई 2023 यानी पिछला सोमवार धरती का सबसे गर्म दिन था. पृथ्वी की हिस्ट्री में अब तक इतना गर्म दिन कभी नहीं देखा गया. सोमवार को धरती का औसत तापमान 17.01 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. जो कि अब तक का सबसे ज्यादा तापमान माना जा रहा है. (सभी फोटोः एपी/रॉयटर्स/पीटीआई)

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इससे पहले सबसे ज्यादा गर्म दिन का रिकॉर्ड अगस्त 2016 के नाम था. तब दुनिया का औसत तापमान 16.92 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. इस समय गर्मी की बड़ी वजह दुनिया में चल रही हीटवेव्स हैं. 

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दक्षिणी अमेरिका भयानक हीट डोम से जूझ रही है. चीन में लगातार हीटवेव का असर है. चीन में औसत तापमान 35 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. जबकि उत्तरी अफ्रीका में पारा 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है. 

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यहां तक कि अंटार्कटिका अपनी सर्दियों के मौसम में भी अधिकतम तापमान दर्ज कर चुका है. अंटार्कटिका के अर्जेंटाइन आइलैंड पर मौजूद यूक्रेन के वर्नाडस्की रिसर्च बेस पर जुलाई का तापमान 8.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. यह बेहद ज्यादा है. 

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लंदन स्थित ब्रिटेन इंपीरियल कॉलेज में ग्रांथम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज एंड एनवायरमेंट के साइंटिस्ट फ्रेडरिक ओट्टो ने बताया कि हम ऐसे किसी मौके को सेलिब्रेट नहीं कर सकते. हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. तापमान लगातार बढ़ रहा है. 

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फ्रेडरिक ने बताया कि यह लोगों और इकोसिस्टम के लिए मौत की सजा से कम नहीं है. यह जलवायु परिवर्तन का नतीजा है. इसके साथ इस बार अल-नीनो का असर भी देखने को मिल रहा है. इन दोनों पर ही आरोप लगा सकते हैं. लेकिन जिम्मेदार तो इंसान ही हैं. 

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बर्कले अर्थ के साइंटिस्ट जेके हॉसफादर ने कहा कि जितना ज्यादा कार्बन उत्सर्जन होगा, तापमान उतना ही ज्यादा हो जाएगा. उत्सर्जन, ग्रीनहाउस गैस और अल-नीनो ने मिलकर दुनिया का पारा चढ़ा दिया है. आमतौर पर दुनिया का तापमान 12 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच घूमता रहता है. लेकिन यह अब अधिकतम पर है. 

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धरती का औसत तापमान जुलाई के अंत और अगस्त के शुरुआत में सबसे ज्यादा होता है. लेकिन यह डेटा तो इस महीने की शुरुआत में ही रिकॉर्ड हो गया. यानी जुलाई का अंत या अगस्त का तापमान फिर रिकॉर्ड तोड़ सकता है.

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इंसान हर साल वायुमंडल में 4000 करोड़ टन कार्बनडाईऑक्साइड रिलीज करता है. वो भी जीवाश्म ईंधन जलाकर. जिसकी वजह से वायुमंडल गर्म होता जा रहा है. इस पर सोने पर सुहागा ये कि प्रशांत महासागर में इस बार अल-नीनो का असर भी है.  

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