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आखिर भारत दुनिया का भयावह 'कोरोना केंद्र' कैसे बन गया? जानिए वजह...

aajtak.in
  • लंदन,
  • 29 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST
India Global Epicenter of Covid Pandemic
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अचानक भारत दुनिया में कोरोना वायरस का मुख्य केंद्र कैसे बन गया? क्या ये एकदम से हुआ है या फिर इसमें समय लगा है. क्योंकि इस समय दुनिया 2/5 कोरोना मामले भारत में हैं. भारत को दुनिया भर के लोग कोरोना महामारी का वैश्विक केंद्र मान रहे हैं. मंगलवार यानी 27 अप्रैल कोरोना मामलों की संख्या के मामले में भारत के लिए काला दिन था. 3.60 लाख से ज्यादा केस आए थे. न जाने अभी कितने ऐसे दिन देखने पड़ेंगे. (फोटोः पीटीआई)

India Global Epicenter of Covid Pandemic
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भारत में अप्रैल के शुरुआत से अबतक प्रतिदिन आने वाले कोरोना संक्रमितों की संख्या में पांच गुना इजाफा हुआ है. भारत ने एक दिन में सबसे ज्यादा कोरोना मामले का रिकॉर्ड बना दिया है. इतना ही नहीं कोरोना की वजह से एक दिन 3293 मौतों का भी रिकॉर्ड है. जिसकी वजह से भारत में कुल कोरोना मौतों की संख्या 2 लाख से ज्यादा हो गई है. (फोटोःगेटी)

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हालांकि, इतने मामलों और मौतों के बाद भी भारत कोरोना महामारी के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर हैं. भयावह आंकड़ों की सूची में सबसे ऊपर अमेरिका, ब्राजील और मेक्सिको हैं. पूरे देश में कोरोना की वजह से हालत खराब है, लेकिन सबसे बुरी स्थिति राजधानी दिल्ली की है. 27 अप्रैल को यहां पर 381 लोगों की मौत हुई. (फोटोःएएफपी)

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दिल्ली में 10 लाख लोगों में से 120 लोगों की मौत हो रही है. शवदाह गृह और अस्पताल कोरोना मरीजों से भरे पड़े हैं. बेड्स, वेंटिलेटर्स और ऑक्सीजन की कमी है. डॉक्टर्स और अस्पताल इस दबाव को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. 28 अप्रैल को दिल्ली में 4794 ICU बेड्स में से सिर्फ 24 उपलब्ध थे. यानी 0.5 फीसदी बेड्स ही खाली हैं. (फोटोःगेटी)

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सिर्फ दिल्ली ही नहीं, गोवा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी पिछले एक हफ्ते में कोरोना वायरस के मामले दोगुने हो गए हैं. मामला तब और गंभीर हो गया जब लोगों को ऑक्सीजन की कमी होने लगी. अब ऐसी स्थिति में दुनियाभर के विशेषज्ञों का कहना है कि हमनें भारत में कोरोना वायरस के असर को कम सोचा था. लेकिन इसने भयावह रूप ले लिया है. (फोटोःगेटी)

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श्मशान घाटों, शवदाह गृहों और कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बची है. कई स्थानों पर तो अंतिम संस्कार के लिए लाशों की लाइन लगी है. दिल्ली के एक शवदाह गृह के मैनेजर ने टेलीग्राफ अखबार को बताया कि मुझे लगता है हम हर दिन कोरोना से मरने वाले करीब 1000 लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. (फोटोः एएफपी)

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मिशिगन यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट भ्रमर मुखर्जी ने बताया कि भारत में मरने वालों की संख्या पांच गुना ज्यादा होगी. जबकि बताई कम जा रही है. वहीं प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट फोरम के विकास बाजपेयी ने कहा कि ये 30 गुना ज्यादा भी हो सकती है. भारत के डेटा को दुनिया के किसी अन्य देश से तुलना नहीं किया जा सकता. ये काफी मुश्किल होगा. क्योंकि यहां मरीजों, स्थानों और मौसम में इतनी ज्यादा विभिन्नता है कि एक ही देश में कई तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. 

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भारत में मौतों का सही आंकड़ा जारी नहीं किया जा रहा है. जबकि ये पांच गुना ज्यादा हो सकता है. इस समय भारत की स्थिति वही है जैसी इंग्लैंड की फरवरी के महीने में थी. अगर इसी तरह से आंकड़ों को कम दिखाया जाएगा तो सही जानकारी नहीं मिलेगी. अगर हम पांच गुना मौतों को सही आकंड़ा माने तो इस समय भारत दूसरी लहर के पीक पर होना चाहिए. (फोटोः एपी)
 

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पश्चिमी देशों में तेजी से चलाए गए वैक्सीनेशन प्रोग्राम की वजह से कोरोना की दूसरी लहर इतनी कामयाब नहीं हो पाई. अस्पतालों में लोग कम भर्ती हुए और मौतें भी कम हुईं. अमेरिका, इंग्लैंड, इजरायल और कुछ यूरोपीय देशों ने अपने ज्यादातर लोगों का वैक्सीनेशन करवा दिया है. जिसकी वजह से वहां पर फिलहाल कोरोना संक्रमण का दर भारत की तुलना में काफी कम है. (फोटोः एपी)

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भारत में हर 100 लोग पर सिर्फ 10 डोज ही बंटी है. इसका मतलब ये है कि वैक्सीनेशन प्रोग्राम का कोई फायदा नहीं हो रहा है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देशस है, इसके बावजूद अभी तक देश में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया बेहद धीमी है. भारत ने अपने लोगों को सुरक्षित करने से पहले लाखों डोज दूसरे देशों में भेज दिया.  (फोटोः गेटी)

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