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Iceland में फिर फटी धरती, अंदर से निकले लावा ने जलाए ग्रिंडाविक कस्बे के घर... हैरान करने वाली Photos

आजतक साइंस डेस्क
  • रेकजाविक,
  • 16 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST
Iceland Volcano Lava
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दक्षिण-पश्चिम आइसलैंड में एक महीने पहले जो ज्वालामुखी फटा था, अब वह कहीं से भी धरती को फाड़ रहा है. वहां से लावा निकलने लगा है. दो साल के अंदर यह पांचवीं बार है, जब यहां पर जमीन फटी और वहां से लावा निकलने लगा. रविवार को ग्रिंडाविक कस्बे के पास दो दरारें देखी गईं. जो बाद में लावा उगलने लगीं. यहीं से लावा की धार कस्बे तक गई. (फोटोः एपी)

Iceland Volcano Lava
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 हालांकि, इन दरारों को देखते ही प्रशासन ने स्थानीय लोगों को हटा दिया था. दरारें कस्बे से करीब 450 मीटर दूर बनी थी. दरार से निकली पहली धार से तो लावा कस्बे तक नहीं पहुंचा लेकिन दूसरी धार ने कई घरों को जला दिया. इसने कस्बे के अंदर 100 मीटर तक मौजूद हर चीज को जला दिया. तीन घर पूरी तरह से जलकर खाक हो चुके हैं. (फोटोः एपी)

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नारंगी रंग का लावा कस्बे की तरफ बढ़ता जा रहा था. जहरीला धुआं छोड़ रहा था. जिससे कस्बे के ऊपर घने बादल जैसी स्थिति बन गई थी. स्थानीय निवासी स्वीन अरी गुडजॉन्सन ने कहा कि यह छोटा सा गांव है. हम हर किसी को जानते हैं. हम प्यार से रहते हैं. लेकिन लावा की वजह से हमारे तीन परिवारों का घर जल गया. यह बेहद दुखी करने वाला माहौल है. (फोटोः एपी)

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पास में मौजूद जियोथर्मल स्पा ब्लू लगून रविवार को ही बंद कर दिया गया था. आइसलैंड के राष्ट्रपति गुओनी जोहानेसन ने कहा कि जब भी जरूरत होगी हम एकसाथ खड़े हैं. यह ऐसी घटना है जिसे हम रोक नहीं सकते. लेकिन उससे बचाव का प्रयास पूरी तरह से कर रहे हैं. करते रहेंगे. लोगों की जान खतरे में किसी भी तरह से नहीं डाली जाएगी. (फोटोः एपी)

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आइसलैंड के मौसम विभाग ने कहा है कि यह ज्वालामुखी लगातार हमें हैरान कर रहा है. कभी लगता है कि यह धीमा हो रहा है. शांत हो रहा है. फिर अचानक से नई दरार आती है और वहां से लावा निकलने लगता है. रविवार को बनी दरार ने सोमवार को लावा उगलना शुरू किया, जो हर घंटे घटता-बढ़ता रहा. हमने इसलिए पहले ही लोगों को हटवा दिया था. (फोटोः एपी)

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आइसलैंड सिविल प्रोटेक्शन एजेंसी ने ज्वालामुखी का अलर्ट लेवल बढ़ाकर तीसरा कर दिया है. यह उच्चतम स्तर है. इसका मतलब है इमरजेंसी. यह बताता है कि यह ज्वालामुखी अब किसी भी समय लोगों, संपत्तियों, समुदाय या पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है. 2021 से अब तक रेकजेन्स प्रायद्वीप में यह पांचवां विस्फोट है. (फोटोः रॉयटर्स)

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ग्रिंडाविक में पहला विस्फोट 18 दिसंबर 2023 को हुआ था. वह भी कई हफ्तों तक आने वाले भूकंपों के बाद. 3800 लोगों वाला यह कस्बा तुरंत खाली करवा लिया गया था. 100 लोग अपने काम के चलते एक-दो हफ्ते पहले वहां वापस गए थे. लेकिन उन्हें भी रविवार को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया. अब वहां फंसी भेड़ों को बचाने का प्रयास चल रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)

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फिलहाल प्रशासन की नजर स्वार्तसेंगी जियोथर्मल प्लांट पर है, ताकि उसे कोई खतरा न हो. यहीं से रेकजेन्स प्रायद्वीप के 30 हजार लोगों को बिजली और पानी की सप्लाई होती है. फिलहाल ज्वालामुखी से लावा निकलने की दर कमजोर हो रही है. लेकिन अभी वैज्ञानिक कुछ भी पुख्ता तौर पर कहने को तैयार नहीं हैं. (फोटोः रॉयटर्स)

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आइसलैंड यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ अर्थ साइंसेस के एसोसिएट प्रोफेसर हैल्डोर गैरिसन ने कहा कि रेकजाविक प्रायद्वीप में छह अलग-अलग तरह के ज्वालामुखी सिस्टम हैं. ग्रिंडाविक वाला विस्फोट स्वार्तसेंगी ज्वालामुखी सिस्टम (Svartsengi Volcanic System) का हिस्सा है. इस जगह पर ज्वालामुखी करीब 2000 साल बाद फटा है. (फोटोः रॉयटर्स)

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4 km लंबी लावा की मुख्य धार दिसंबर में ग्रिंडाविक कस्बे से 3 km दूर थी. विस्फोट अब भी हो रहा है. इससे काफी वायु प्रदूषण हो रहा है. फिलहाल विमानों के उड़ान पर कोई रोक नहीं लगाई गई है. नवंबर महीने के शुरूआत में ही ग्रिंडाविक की सड़कें धंसने लगी थी. लोगों ने इलाका तो छोड़ दिया लेकिन उन्हें अपनी संपत्ति की चिंता हो रही है. (फोटोः रॉयटर्स)

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वैज्ञानिकों ने तभी अंदेशा जताया था कि यहां बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट होने वाला है. ग्रिंडाविक में ज्यादातर मछुआरे रहते हैं. ज्यादातर लोगों का व्यवसाय मछली से जुड़ा है. क्योंकि पूरे कस्बे की जमीन के नीचे गर्म मैग्मा बह रहा था. ग्रिंडाविक की जमीन के नीचे 10 km की लंबाई में लावा बह रहा था. यह सतह से करीब 800 मीटर नीचे था. (फोटोः रॉयटर्स)

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2021 में हुआ ज्वालामुखी विस्फोट छह महीने तक लावा उगलता रहा. इसके बाद अगस्त 2022 में फिर एक विस्फोट हुआ, जिसका लावा तीन हफ्ते तक बहता रहा. ये सारे विस्फोट फैगराडाल्सजाल ज्वालामुखी से निकली लावा की नहरों की जाल की वजह से हो रहे हैं. ज्वालामुखी की जमीनी सुरंगें 6 किलोमीटर चौड़ी और 19 किलोमीटर लंबी है. (फोटोः एपी)

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